चाय कुल्हड़ की कीमत करीब 50 रुपये प्रति सैकड़ा है। वहीं, लस्सी कुल्हड़ की कीमत 150 सौ रुपए, दूध कुल्हड़ की कीमत 150 सौ रुपए और कप की कीमत 100 सौ रुपए है। चाय का कुल्हड़ बहुत किफायती होने के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित है।

किन्नू की खेती कैसे करें - किन्नू की खेती से कैसे कमाएं लाखों का मुनाफा

ब्लॉग से पैसे कैसे कमाएं

किसी ब्लॉग से कमाई करने के कई तरीके हैं. अपने ब्लॉग से पैसे कमाने के अलग-अलग ऑनलाइन मॉडल और लोकप्रिय रणनीतियां खोजें.

अगर आपके पास ब्लॉग या साइट है – या आप इनमें से किसी एक को शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं – तो इससे कमाई शुरू करने में अभी देर नहीं हुई है. किसी ब्लॉग से कमाई करने के कई तरीके हैं. इस लेख में डिजिटल कॉन्टेंट से कमाई करने के कई ऑनलाइन मॉडल और लोकप्रिय तरीके दिए गए हैं.

आइए बुनियादी चीज़ों से शुरू करते हैं. AdSense से कमाई करने का क्या मतलब है? आसान भाषा में कहें तो AdSense से कमाई करने का मतलब है अपनी साइट से पैसे कमाना. आपको अपने ब्लॉग के ऑनलाइन कॉन्टेंट से जो आय होती है, वह कमाई है.

अपने ब्लॉग से पैसे कमाना शुरू करने के लिए ऑनलाइन कारोबार के कई मॉडल हैं:

  • विज्ञापन
  • एफ़िलिएट मार्केटिंग
  • उत्पाद या डिजिटल उत्पाद बेचना
  • सदस्यताएं
  • कोचिंग

विज्ञापनों से कमाई: कमाई के लिए अपने ब्लॉग पर विज्ञापन दिखाएं

अगर आप ब्लॉग प्रकाशक हैं, तो विज्ञापन दिखाना ऑनलाइन कॉन्टेंट से पैसे कमाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है. विज्ञापन देने वाले आपके दर्शकों तक पहुंचने के लिए पैसे चुकाने को तैयार रहते हैं. जिस तरह ज़्यादा प्रतियां बेचने वाला अखबार, विज्ञापन देने वालों से ज़्यादा पैसा ले सकता है, ठीक उसी तरह आपकी साइट और कॉन्टेंट जितना लोकप्रिय होगा, आप उतनी ज़्यादा कमाई करेंगे.

आप उस कारोबार को सीधे अपनी साइट पर विज्ञापन की जगह दे सकते हैं जो आपके कॉन्टेंट के साथ अपना विज्ञापन दिखाना चाहता है. इसे सीधे तौर पर होने वाली डील कहा जाता है. आप विज्ञापन की जगह खुद बेचने के लिए Google AdSense जैसे विज्ञापन नेटवर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

आपके ब्लॉग के किसी खास पेज पर, उसी कॉन्टेंट से जुड़े विज्ञापन दिखाना ही AdSense के काम करने का तरीका है. उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपका ब्लॉग साहसिक यात्राओं के बारे में है और आपने रेकयोविक की यात्रा के बारे में कुछ पोस्ट किया है. ऐसे में, AdSense यात्रा बीमा, आइसलैंड या गर्म कपड़ों के बारे में विज्ञापन दिखा सकता है. जहां विज्ञापन दिखाई दे रहा है, उस साइट के मालिक के तौर पर आपको AdSense उस समय पैसे चुकाता है जब कोई उपयोगकर्ता विज्ञापन देखता है या उससे इंटरैक्शन करता है.

एफ़िलिएट मार्केटिंग: उत्पाद के सुझाव देकर पैसे कमाएं

एफ़िलिएट मार्केटिंग वह है जिसमें आप किसी दूसरी साइट पर बिक रहे उत्पाद या सेवा का लिंक अपने कॉन्टेंट में डाल देते हैं. यह कुछ ऐसे काम करता है: जब कोई व्यक्ति आपकी साइट पर दिए गए लिंक पर क्लिक करके एफ़िलिएट साइट पर पहुंचता है और जिस उत्पाद का कमाएं हर दिन हजारों आपने प्रचार किया है उसे खरीदता है, तो बिक्री पर आपको कमीशन मिलता है.

ऐसे ब्लॉग के लिए एफ़िलिएट मार्केटिंग कमाई का अच्छा मॉडल साबित हो सकता है जिसके दर्शक उत्पाद के सुझावों में रुचि रखते हैं जानकारी देने वाले, 'कैसे करें' और जीवनशैली पर आधारित लेख इनसे जुड़े उत्पादों के प्रचार के कई मौके देते हैं.

साहसिक यात्रा के ब्लॉग के उदाहरण का एक बार फिर से इस्तेमाल करते हुए, मान लीजिए कि आपने वाइल्ड स्विमिंग की जगहों की यात्रा से जुड़ी कहानी पोस्ट की. आप अपनी यात्रा के लिए पैक की गई चीज़ें– जैसे स्विमसूट, तौलिया और चश्मे का सुझाव देने के लिए एफ़िलिएट मार्केटिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. जब ब्लॉग पढ़ने वाला व्यक्ति आपके सुझाए गए स्विमसूट के लिंक पर क्लिक करके उसे खरीदता है तो आपको अपने ब्लॉग से कमाई होती है.

उत्पाद या डिजिटल उत्पाद बेचना: अपने ब्लॉग से पैसे कमाने के लिए चीज़ें बेचना

अपने ब्लॉग से कमाई के लिए, कई ब्लॉगर किसी ई-कॉमर्स प्लैटफ़ॉर्म से कमाएं हर दिन हजारों जुड़कर एक ऑनलाइन स्टोर बना लेते हैं और उत्पाद बेचना शुरू कर देते हैं. आपके उत्पाद भौतिक या डिजिटल हो सकते हैं. उदाहरण के लिए साहसिक यात्रा के ब्लॉग में, आप अपने लोगो वाली टी-शर्ट या मनोरम जगहों की गाइडबुक बेच सकते हैं.

चाहे आपके उत्पाद भौतिक हों या डिजिटल, आपको भुगतान स्वीकार करने का तरीका सेट अप करना होगा. उत्पाद बेचने के लिए आपको वस्तुओं को स्टोर करने, डिलिवरी और टैक्स के बारे में विचार करना होगा. डिजिटल वस्तुओं को संभालना आसान होता है, क्योंकि आप उनकी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से डिलिवरी कर कमाएं हर दिन हजारों सकते हैं.

किन्नू की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

भारत में किन्नू की खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर हैं। इन राज्यों में किन्नू का उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

किन्नों : किन्नू की इस प्रजाति का नाम किन्नों है। इसके पौधों पर आने वाले फल सुनहरे संतरे रंग के होते है, जो स्वाद में हल्के खट्टे तथा इसमें मीठा रस होता है। इस क़िस्म का फल जनवरी से फरवरी के महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है।

लोकल : किन्नू की इस किस्म को पंजाब के छोटे क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसके पेड़ में निकलने वाले फलों का आकार सामान्य और छोटा होता है। यह किस्म दिसंबर से जनवरी के महीने में तुड़ाई के लिये तैयार हो जाती है, इसका छिलका संतरी पीला रंग का होता है।

पाव किन्नौ : किन्नू की यह प्रजाति जनवरी के महीने में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके फलों में 6 से 8 तक बीज होते हैं। इस किस्म का प्रति पेड़ उत्पादन 45 किलोग्राम के आसपास का होता है।

किन्नू की खेती करने के लिए उपयुक्त भूमि, जलवायु और तापमान

किन्नू की खेती करने के लिए विभिन्न प्रकार की भूमि उपयुक्त मानी जाती है। किन्नू की खेती गहरी दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी और तेजाबी मिट्टी में आसानी से कर सकते हैं। इसकी खेती करने के लिए खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था होना चाहिए और भूमि उपजाऊ होनी चाहिए। क्षारीय भूमि में इसकी फसल को नहीं उगाया जा सकता है। पौधों के अच्छे से विकास करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच का होना चाहिए।किन्नू का पौधा उपोष्ण जलवायु वाला होता है, इसीलिए इसे अर्द्ध शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। इसके पौधों को शुरुआत में 10 से 35 डिग्री तक का तापमान चाहिए होता है। ताकि पौधे का विकास सही तरीके से हो सके। इसका पौधा अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 10 डिग्री के तापमान पर अच्छे से विकास कर सकता है। इसे एक साल में औसतन 50 से 60 सेंटीमीटर पानी की आवश्यकता होती है।

किन्नू के बीज की रोपाई का समय और तरीका

किन्नू के बीज की रोपाई सीधा बीज के रूप में न करके पौधे के रूप में की जाती है। इसके लिए किन्नू के बीज को प्रजनन टी-बडिंग विधि के माध्यम से तैयार किया जाता है। नर्सरी में बीज को 2X1 मीटर आकार वाली बैंडो पर 15 सेटीमीटर की दूरी पर कतार में लगाए। जब किन्नू का पौधा 10 से 12 सेटीमीटर लम्बा हो जाये तो उसे निकाल कर खेत में उसकी रोपाई कर दें। खेत में केवल स्वस्थ पौधों को ही लगाएं। किन्नू के कमजोर और छोटे पौधों को खेत में न लगाए। पौधों को खेत में लगाने से पहले जड़ों की छंटाई अवश्य कर लें। खेत में पौधों को लगाने से पहले गड्ढे को तैयार कर लें।

गड्ढे तैयार करने के लिए लिए 60×60×60 सेटीमीटर वाले गड्ढे खोद लें, तथा एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे के बीच कमाएं हर दिन हजारों 6×6 मीटर की दूरी रखें। इन गड्ढे में 10 किलोग्राम रूडी और 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट खाद को डालें। किन्नू के पौधों को तेज हवा से बचाने के लिए खेत के चारों ओर अमरुद, जामुन, शीशम, आम, शहतूत और आंवला के पौधों को लगाया जा सकता है। इसके पौधों की रोपाई का उपयुक्त समय जून से सितंबर माह के मध्य का है। एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 200 से 220 पौधों को लगाया जा सकता है।

आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि आम आदमी की जेब पर पड़ रही भारी

आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि आम आदमी की जेब पर पड़ रही भारी

नई दिल्ली, 28 दिसंबर : वे दिन गए, जब परिवार के कमाने वाले हर महीने की शुरुआत में आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए एक निश्चित राशि की गणना और आवंटन करते थे, यहां तक कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर अपने खर्च को समायोजित करके भी. अब परिदृश्य काफी अलग है. दो या तीन सदस्यों के साथ भी एक एकल परिवार को खाद्य तेल, दाल, दूध, पेट्रोलियम इत्यादि जैसी आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करने पर खर्च को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है. मुद्रास्फीति में वृद्धि के साथ औसत भारतीय परिवारों की क्रय शक्ति में भी कमी आई है.

38 वर्षीय गृहिणी राधा कुमारी ने कहा, "दो साल पहले तक केवल मेरे पति काम कर रहे थे और पांच लोगों के परिवार को बनाए रखने के लिए दाल, चावल, गेहूं और आटा जैसी बुनियादी चीजें खरीदना हमारे लिए मुश्किल था. हालांकि मेरी बड़ी बेटी अब कमा रही है, लेकिन इससे वास्तव में कोई फर्क नहीं पड़ा है, क्योंकि कीमतें काफी बढ़ गई हैं. एक सप्ताह का अतिरिक्त आवश्यक सामान खरीदना भी अब कठिन लगता है." एक कामकाजी जोड़े, जिनकी 10 साल पहले शादी हुई थी और हाल ही में उनके घर एक बच्चे का जन्म हुआ है, ने साझा किया कि जब वे नवविवाहित थे, तो वे एक सप्ताह में 2,000 रुपये खर्च करते थे, लेकिन अब किराने का खर्च दोगुना हो गया है. अपने बेटे के जन्म के साथ जो खर्चो में जुड़ गया है, वे बढ़ती कीमतों के कारण आवश्यक वस्तुओं के लिए भी अपने खर्च को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. यह भी पढ़ें :वर्ष 2021-22 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले बढ़े, राशि घटीः आरबीआई

बादाम की उन्नत खेती, बस एक बार लगाएं पौधा और 50 साल तक कमाते रहें मुनाफा

बादाम की खेती : एक वक्त था जब बादाम की खेती सिर्फ जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे कमाएं हर दिन हजारों ठंडे पर्वतीय इलाकों में होती थी, लेकिन अब मैदानी जगहों पर भी इसकी खेती होने लगी है। इसकी वजह है बदलती हुई तकनीक, जिसके चलते उन्नत किस्म के बीज विकसित हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर बादाम की मांग भी पहले की तुलना में बढ़ी है, क्योंकि लोग इससे स्वास्थ्य को होने वाले फायदों के बारे में पहले से अधिक जानने लगे हैं। ऐसे में किसान बादाम की खेती के जरिए मालामाल हो सकते हैं।

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कैसे की जाती है बादाम की खेती?

बादाम की खेती 7 डिग्री से 25 डिग्री तक की जलवायु वाले इलाकों में आसानी से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए समतल, बलुई, दोमट चिकनी मिट्टी और गहरी उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है। रोपाई से पहले इसके लिए खड्डे तैयार किए जाते हैं। उनमें ढेर सारी गोबर की खाद और केंचुए की खाद डाली जाती है। पौधे से पौधे की दूरी 5-6 मीटर होनी चाहिए। बादाम की कुछ व्यावसायिक किस्मों में नॉन-पैरिल, कैलिफ़ोर्निया पेपर शेल, मर्सिड, आईएक्सएल, शालीमार, मखदूम, वारिस, प्रणयज, प्लस अल्ट्रा, प्रिमोर्स्कीज, पीयरलेस, कार्मेल, थॉम्पसन, प्राइस, बट्टे, मोंटेरे, रूबी, फ्रिट्ज, सोनोरा, पाद्रे शामिल हैं।

भारत में बादाम के गिरी को खूब पसंद किया जाता है। खास तौर पर ज्यादा पोषक और औषधीय गुणों से भरपूर होने की वजह से। इसकी मांग दवाइयों और सौंदर्य सामग्री में इस्तेमाल के लिए भी होती है। बादाम खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होता है। इससे कमाएं हर दिन हजारों दिल के दौरे का जोखिम भी कम होता है। इतना ही नहीं, बादाम खाने से दिमाग भी तेज होता है। साथ ही बादाम दांतों और हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।

बादाम की खेती में ध्यान रखें ये बातें

  • अगर आप बहुत अच्छी पैदावार चाहते हैं तो इसके साथ ही मधुमक्खी पालन भी करें, जो आपके पौधों में परागण को बढ़ाएंगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा।
  • बादाम की खेती करने से पहले कृषि विशेषज्ञ से अपनी अपनी मिट्टी की जांच करवा लें और साथ ही जलवायु के हिसाब से ये भी पता कर लें कि किस किस्म के बादाम उगाने चाहिए। अलग-अलग जलवायु के हिसाब से अलग-अलग किस्म होती है। गलत किस्म लगाने से उत्पादन पर असर कमाएं हर दिन हजारों पड़ता है।
  • गर्मियों में हर 10 दिन में सिंचाई करनी चाहिए, जबकि ठंड में 20-25 दिन में सिंचाई करनी चाहिए।
  • बादाम के पौधों को हवा से बचाने के लिए उसे बांस से सहारा देना चाहिए।
  • बादाम की खेती के साथ-साथ अन्य तरह की सब्जियां भी उगाई जा सकती हैं।

वैसे तो बादाम का पेड़ 3-4 साल में फल देने लगता है, लेकिन पूरी क्षमता से फल देने में बादाम के पेड़ को करीब 6 साल लग जाते हैं। अच्छी बात ये है कि बादाम के पेड़ एक बार लगाने के बाद 50 साल तक फल देते रह सकते हैं। अलग-अलग किस्म के हिसाब से अलग-अलग उत्पादन मिलता है, इसलिए मुनाफा भी कम-ज्यादा हो सकता है। बाजार में बादाम का भाव 600 रुपए से 1000 रुपए प्रति किलोग्राम है। एक पेड़ से 2-2.5 किलो सूखे बादाम हर साल मिलते हैं। यानी आपको पहली बार खेती में खर्च करना होगा और फिर उसके बाद बस रख-रखाव करते रहें और फायदा कमाते रहें। वहीं बादाम के कमाएं हर दिन हजारों खेत में अन्य सब्जियों की खेती भी करें, जिससे आपका मुनाफा और बढ़ेगा।

Business Idea : केवल 5 हजार में शुरू करें ये फुल डिमांड वाला बिजनेस, हर महीने होगी 30 हजार की कमाई

आज हम आपको एक ऐसे बिजनेस आइडिया के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें बहुत कम निवेश की जरूरत होती है। सिर्फ 5 हजार रुपए से आप अपना खुद का बिजनेस शुरू कर सकते हैं और हर महीने बंपर कमाई कर सकते हैं। साल 2022 बीतने को है। आप में से कई ऐसे होंगे जिन्होंने साल 2022 में अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा होगा। कुछ लोग अपना काम शुरू कर चुके होंगे, कुछ लोग सोच रहे होंगे कि क्या करें?

Business Idea

हर महीने होगी 30 हजार की कमाई

कुल्हड़ बनाने के व्यवसाय में आपको केवल 5 हजार रुपये का निवेश करना होगा। इसके लिए आपको कुछ जगह की जरूरत पड़ेगी। केंद्र सरकार भी कुल्हड़ के बिजनेस को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह कुल्हड़ मेकिंग बिजनेस है। उल्लेखनीय है कि भारत में एक बड़ी आबादी चाय की शौकीन है। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भी कुल्हड़ चाय की डिमांड है।

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