पाँच सौ अरब डॉलर का हुआ विदेशी मुद्रा भंडार
रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी आँकड़ों के अनुसार, 05 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार छठे सप्ताह बढ़ता हुआ 501.70 अरब डॉलर पर पहुँच गया। सप्ताह के दौरान इसमें 8.22 अरब डॉलर की जबरदस्त वृद्धि देखी गई। इससे पहले 29 मई को समाप्त सप्ताह में यह 3.44 अरब डॉलर बढ़कर 493.48 अरब डॉलर रहा था।
आलोच्य सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में 8.42 अरब डॉलर की वृद्धि हुई और सप्ताहांत पर यह 463.63 अरब डॉलर पर रहा। इस दौरान स्वर्ण भंडार 32.90 करोड़ डॉलर घटकर 32.35 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 12 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.28 अरब डॉलर पर और विशेष आहरण अधिकार एक करोड़ डॉलर बढ़कर 1.44 अरब डॉलर पर पहुँच गया।
Rupee Vs Dollar: रुपया नहीं फिसल रहा बल्कि डॉलर हो रहा है मजबूत: सीतारमण
में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सबसे पहली बात, मैं इसे इस तरह नहीं देखूंगी कि रुपया फिसल रहा है बल्कि मैं यह कहना चाहूंगी कि रुपये में मजबूती आई है।
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: October 16, 2022 17:22 IST
Photo:PTI Nirmala Sitharaman
Highlights
- शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 82.35 के भाव पर बंद हुआ
- विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर 2022 तक 532.87 अरब डॉलर था
- एक साल पहले के 642.45 अरब डॉलर से कहीं कम है
Rupee Vs Dollar: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इस वर्ष भारतीय मुद्रा रुपये में आई आठ फीसदी की गिरावट को ज्यादा तवज्जो नहीं देते बढ़ती विदेशी मुद्रा सफलता हुए कहा है कि कमजोरी रुपये में नहीं आई बल्कि डॉलर में मजबूती आई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में शामिल होने के बाद सीतारमण ने शनिवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है।
डॉलर लगातार मजबूत हो रहा बढ़ती विदेशी मुद्रा सफलता
रुपये में गिरावट आने से जुड़े एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सबसे पहली बात, मैं इसे इस तरह नहीं देखूंगी कि रुपया फिसल रहा है बल्कि मैं यह कहना चाहूंगी कि रुपये में मजबूती आई है। डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत हो रहे डॉलर के सामने अन्य मुद्राओं का प्रदर्शन भी खराब रहा है लेकिन मेरा खयाल है कि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया ने बेहतर प्रदर्शन किया है।’’ शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 82.35 के भाव पर बंद हुआ था। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर 2022 तक 532.87 अरब डॉलर था जो एक साल पहले के 642.45 अरब डॉलर से कहीं कम है। सीतारमण ने कहा कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण मूल्यांकन में बदलाव आना है। भारतीय रिजर्व बैंक का भी ऐसा ही कहना है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी
सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है, व्यापक आर्थिक बुनियाद भी अच्छी है। विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है। मैं बार-बार कह रही हूं कि मुद्रास्फीति भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है।’’ उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि मुद्रास्फीति छह फीसदी से नीचे आ जाए, इसके लिए सरकार भी प्रयास कर रही है। सीतारमण ने दहाई अंक की मुद्रास्फीति वाले तुर्किये जैसे कई देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे देश बाहरी कारकों से बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बाकी की दुनिया की तुलना में अपनी स्थिति को लेकर हमें सजग रहना होगा।
वित्तीय घाटे को लेकर पूरी तरह से सतर्क
मैं वित्तीय बढ़ती विदेशी मुद्रा सफलता घाटे को लेकर पूरी तरह से सतर्क हूं।’’ वित्त मंत्री ने बढ़ते व्यापार घाटे के मुद्दे पर कहा, ‘‘इसका मतलब है कि हम निर्यात की तुलना में ज्यादा आयात कर रहे हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि यह अनुपातहीन वृद्धि क्या किसी एक देश के मामले में हो रही है।’’ उनका इशारा असल में चीन के लिहाज से व्यापार घाटा बढ़कर 87 अरब डॉलर होने की ओर था।
IMF ने की भारत की तारीफ, कहा- मुश्किल समय में भी तेजी से बढ़ रही देश की इकोनॉमी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF- International Monetary Fund) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा (Kristalina Georgieva) ने गुरुवार को कहा कि भारत एक ताकतवर स्थिति के साथ जी20 देशों का नेतृत्व करने के लिए तैयार है और अगले साल G20 अध्यक्ष के रूप में वह पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ेगा.
IMF ने की भारत बढ़ती विदेशी मुद्रा सफलता की तारीफ, कहा- मुश्किल समय में भी तेजी से बढ़ रही देश की इकोनॉमी (Reuters)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF- International Monetary Fund) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा (Kristalina Georgieva) ने गुरुवार को कहा कि भारत एक ताकतवर स्थिति के साथ जी20 देशों का नेतृत्व करने के लिए तैयार है और अगले साल G20 अध्यक्ष के रूप में वह पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ेगा. बताते चलें कि भारत 1 दिसंबर, 2022 से एक साल के लिए G20 देशों की अध्यक्षता करेगा. इस दौरान भारत द्वारा देश भर में जी20 की 200 से अधिक बैठकों की मेजबानी करने की उम्मीद है. बता दें कि 9 और 10 सितंबर, 2023 को देश की राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के लेवल पर G20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित होगा.
क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने भारत को बताया तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक (World Bank) की सालाना मीटिंग के मौके पर आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने यहां पत्रकारों से कहा कि भारत इस कठिन समय के बावजूद मौजूदा अंधकार में एक चमकती हुई जगह कहलाने का हकदार है क्योंकि ये एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. उन्होंने आगे कहा कि भारत संरचनात्मक सुधारों में आगे है और उसने डिजिटलीकरण (Digitization) में एक अद्भुत सफलता हासिल की है.
जी20 की अध्यक्षता के दौरान दुनिया पर अपनी गहरी छाप छोड़ेगा भारत
आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा, ‘‘इसलिए, देश अब मजबूत स्थिति के साथ जी20 में आगे बढ़ने की ओर कदम बढ़ा रहा है. ऐसे में मुझे पूरा भरोसा है कि भारत अगले साल जी20 की अध्यक्षता के दौरान दुनिया पर अपनी गहरी छाप छोड़ेगा.’’ उन्होंने कहा कि ये छाप डिजिटल मनी सहित डिजिटलीकरण के सेक्टर में हो सकती है. इसके अलावा ये संस्थानों में अधिक निष्पक्षता लाने के क्षेत्र में भी हो सकता है.
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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: वैश्विक मंदी के बीच भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह
भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है. यहां निवेश पर बेहतर रिटर्न है. एफडीआई बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया को सफल बनाना होगा.
वैश्विक मंदी के बीच भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश
वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश का सुकूनदेह परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है. हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 83.57 अरब डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया है. अब चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की ओर अधिक एफडीआई प्रवाह की नई संभावनाएं बढ़ी हैं. देश में एफडीआई की विभिन्न अनुकूलताओं के कारण अब विदेशी निवेशक ‘भारत क्यों?’ की जगह ‘भारत ही क्यों नहीं?’ कहने लगे हैं.
यदि हम इस बात पर विचार करें कि जब पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में विश्व की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट रही है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों के द्वारा भारत को एफडीआई के लिए प्राथमिकता क्यों दी गई है, तो हमारे सामने कई चमकीले तथ्य उभरकर सामने आते हैं.
पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की 8.7 फीसदी की सर्वाधिक विकास दर, देश में छलांगें लगाकर बढ़ रहे यूनिकॉर्न, 31.45 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन, बढ़ता विदेश व्यापार, नए प्रभावी व्यापार समझौते, 600 अरब डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार आदि के कारण एफडीआई तेजी से बढ़े हैं.
इनके अलावा भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है. यहां निवेश पर बेहतर रिटर्न है. भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड बढ़ती विदेशी मुद्रा सफलता वाला बाजार है. निश्चित रूप से देश में एफडीआई बढ़ने का एक बड़ा कारण सरकार के द्वारा पिछले कुछ वर्षों में उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए किए गए कई ऐतिहासिक सुधार भी हैं. देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, आउटसोर्सिंग और देश में बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की चमकीली क्रयशक्ति के कारण विदेशी निवेश भारत की ओर तेजी से बढ़ने लगा है.
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोरोना महामारी से लेकर अब तक ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन एजुकेशन तथा वर्क फ्रॉम होम की प्रवृत्ति, इंटरनेट के बढ़ते हुए उपयोगकर्ता, देशभर में डिजिटल इंडिया के तहत सरकारी सेवाओं के डिजिटल होने से अमेरिकी टेक कंपनियों सहित दुनिया की कई कंपनियां भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार की चमकीली संभावनाओं को मुट्ठियों में करने के लिए निवेश के साथ आगे बढ़ी हैं.
इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जीरो कोविड पॉलिसी नीति के कारण मार्च से लेकर मई 2022 तक चीन के कई शहरों में आंशिक अथवा पूर्ण लॉकडाउन के कारण चीन में विकास दर घट गई है. ऐसे में चीन में कार्यरत कई कंपनियां वहां से अपना कारोबार और निवेश समेट कर जिन विभिन्न देशों का रुख कर रही हैं, उनमें भारत भी पहली पंक्ति में है.
यूक्रेन संकट की चुनौतियों के बीच जब दुनिया में बड़े-बड़े शेयर बाजार ढहते हुए दिखाई दे रहे हैं, तब भी 7 जून को बाम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 55 हजार से अधिक अंकों के प्रभावी स्तर पर दिखाई दिया है.
अब चालू वित्त वर्ष 2022-23 में और अधिक प्रभावी कारणों से एफडीआई बढ़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. उल्लेखनीय है कि 23 मई को टोक्यो में प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों एवं सीईओ के साथ गोलमेज बैठक में कहा कि वैश्विक एफडीआई में मंदी के बावजूद भारत रिकॉर्ड विदेशी निवेश प्राप्त कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत निवेश अनुकूल अवसरों, आर्थिक सुधारों, नवाचार और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है.
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 24 मई को अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक मंच क्वाड के दूसरे शिखर सम्मेलन में चारों देशों ने जिस समन्वित शक्ति का शंखनाद किया है और बुनियादी ढांचे पर 50 अरब डॉलर से अधिक रकम लगाने का वादा किया है, उससे क्वाड भारत के उद्योग-कारोबार के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकता है. साथ ही इससे भारत की ओर एफडीआई का प्रवाह बढ़ेगा.
अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुई द्विपक्षीय बैठकों के साथ-साथ अमेरिका की अगुवाई में बनाए गए 13 देशों के संगठन हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क, (आईपीईएफ) में भारत को भी शामिल किया गया है, जिससे भारत आईपीईएफ देशों के लिए विनिर्माण, आर्थिक गतिविधि, वैश्विक व्यापार और नए निवेश का महत्वपूर्ण देश बन सकता है.
यदि हम चालू वित्त वर्ष 2022-23 में पिछले वित्त वर्ष बढ़ती विदेशी मुद्रा सफलता के तहत प्राप्त किए गए 83.57 अरब डॉलर के एफडीआई से अधिक की नई ऊंचाई चाहते हैं तो जरूरी होगा कि वर्तमान एफडीआई नीति को और अधिक उदार बनाया जाए. जरूरी होगा कि देश में लागू किए गए आर्थिक सुधारों को तेजी से क्रियान्वयन की डगर पर आगे बढ़ाया जाए. जरूरी होगा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था की विभिन्न बाधाओं को दूर करके इसका विस्तार किया जाए. एफडीआई बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान और मेक इन इंडिया को सफल बनाना होगा.
बदली हुई वैश्विक व्यापार व कारोबार की पृष्ठभूमि में भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए को मूर्तरूप देने के बाद अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ तेज गति से एफटीए वार्ताओं को पूरा करके एफटीए को शीघ्रतापूर्वक लाभप्रद आकार दिया जाना होगा.
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