9. भारत का भुगतान संतुलन ठीक किया जा सकता है-
(अ) घरेलू मुद्रा के अवमूल्यन विदेशी विनिमय बाजार का परिचय द्वारा
(ब) निर्यात को बढ़ाकर
(स) आयात प्रतिस्थापन द्वारा
(द) उपर्युक्त सभी

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत विदेशी विनिमय बाजार का परिचय रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

विदेशी विनिमय दर को विस्तार से समझाइए ।

Meaning :- Exchange rate refers to how many currencies of another country can be obtained in exchange for the currency of one country.

Example :- How many Indian Rupees have to be paid to get one US Dollar If विदेशी विनिमय बाजार का परिचय an Indian pays ₹71 for 200 Dollar then the विदेशी विनिमय बाजार का परिचय विदेशी विनिमय बाजार का परिचय exchange rate will be 200$ equal to ₹75.

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विदेशी मुद्रा दर कक्षा 12 के नोट्स - सीबीएसई अर्थशास्त्र अध्याय 1, , सीबीएसई विनिमय दर कक्षा 12 का परिचय, , विदेशी विनिमय दर कक्षा 12 में, हम विदेशी विनिमय दरों, मुद्राओं के मूल्यहास और, मूल्यवृद्धि, विदेशी विनिमय दर के निर्धारण और विदेशी मुद्रा बाजारों के बारे में अध्ययन, करेंगे।, , , , वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए प्रत्येक देश की अपनी मुद्रा होती है। लेकिन, एक देश की मुद्रा दूसरे देश में स्वीकार्य नहीं है। इस प्रयोजन के लिए, हमें घरेल्नू मुद्रा को, विदेशी मुद्रा में परिवर्तित करने के लिए विदेशी विनिमय दर की आवश्यकता है |, , विदेशी विनिमय दर, , यह विनिमय दर है जिस पर विनिमय दर बाजार में एक मुद्रा का दूसरी मुद्रा के लिए आदानप्रदान किया जाता है। यह अन्य मुद्रा के संदर्भ में एक मुद्रा की कीमत का प्रतिनिधित्व करता, है।, , यह विनिमय दर विनिमय में लिप्त अन्य देशों के साथ विदेशी मुद्रा की मांग और आपूर्ति पर, निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, 200 का मूल्य रुपये के बराबर है। 76., , मूल्यहास वी / एस प्रशंसा, मुद्रा मूल्यहास, , *« यह विदेशी मुद्रा के संबंध में घरेलू मुद्रा के मूल्य में कमी को दर्शाता विदेशी विनिमय बाजार का परिचय है।, , « इसका अर्थ है कि घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा के मूल्य से कम है और विदेशी मुद्रा, को खरीदने के लिए अधिक संख्या में घरेलू मुद्रा की आवश्यकता होती है।, , *« यह (1) मांग में वृद्धि, या (2) आपूर्ति में कमी के कारण होता है।, , *« घरेलू मुद्रा के मूल्यहास के कारण, निर्यात में वृद्धि होगी क्योंकि घरेत्रू मुद्रा अपेक्षाकृत, सस्ती हो जाती है और विदेशी देश घरेलू देश से अधिक खरीदेगा।

विदेशी विनिमय प्रबन्ध अधिनियम (फेमा), 2000 क्या है?

विदेशी विनिमय प्रबन्ध अधिनियम (फेमा), 2000 क्या है?

विदेशी विनिमय प्रबन्ध अधिनियम (फेमा), 2000 क्या है?

विदेशी विनिमय प्रबन्ध अधिनियम (फेमा), 2000 क्या है? इसके प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।

विदेश विनिमय प्रबन्धन अधिनियम (फेमा), 2000- भारत सरकार ने 4 अगस्त 1998 को संसद में विदेशी विनिमय प्रबन्धन बिल पेश किया। इस बिल को 1999 में संसद की स्वीकृति मिल गयी और यह अधिनियम बन गया। इस अधिनियम के नाम से ही स्पष्ट है कि इसका उद्देश्य विदेशी विनिमय का नियन्त्रण न करके केवल उसका प्रबन्धन करना है। इस प्रबन्धन का उद्देश्य यह है कि विदेशी व्यापार से सम्बन्धित भुगतानों में कोई रुकावट या कठिनाई न आने पाये तथा साथ ही साथ भारत के विदेशी विनिमय बाजार का सुचारु ढंग से विकास हो सके। इस अधिनियम के अध्याय-II में विदेशी विनिमय के नियंत्रण व प्रबन्धन की व्यवस्था की गयी है। धारा 3 में यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अधिनियम में वर्णित तरीकों के अलावा किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति से विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूतियों का आदान-प्रदान नहीं कर सकता है।

फेमा के प्रमुख उद्देश्य-

इसके उद्देश्य निम्नवत् हैं-

1 जून, 2000 से लागू विदेशी विनिमय प्रबन्धन, 2000 के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं-

  1. भारत में विदेशी पूँजी की प्रविष्टि का नियमन करना ।
  2. भारत में विदेशियों को रोजगार का नियमन करना।
  3. विदेशी विनिमय के क्रय-विक्रय पर नियन्त्रण रखना ।
  4. विदेशी विनिमय दर में स्थिरता लाना।
  5. विदेशों से एवं विदेशों को होने वाले भुगतानों का नियमन करना।
  6. भारत में विदेशी विनिमय बाजार को सुदृढ़ विकसित एवं बनाये रखना।
  7. भुगतान असन्तुलन को दूर करने में सहायता करना।
  8. भारत में पूँजी के बहिर्गमन पर रोक लगाना।
  9. आर्थिक कार्यक्रमों के लिए विदेशी मुद्रा की पूर्ति बनाये रखने में सहायता प्रदान नियमन करना ।
  10. अनिवासी भारतीयों के भारत में रोजगार, व्यवसाय, विनियोजन, पेशा आदि का करना।
  11. विदेशी बिलों में होने वाली हेरा-फेरी को रोकना।
  12. देश के विनिमय संसाधनों का अनुरक्षण करना ।

विदेशी विनिमय बाजार का परिचय

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