साधन प्रकार और मूल्य-निर्धारण

शेयर, स्टॉक, इक्विटी CFDs - Apple, Google, Nike, JP Morgan, IBM, आदि

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विदेशी मुद्रा व्यापार - EUR/USD, USD/JPY, आदि।

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सूचकांक CFDs - S&P डो जोंस, आदि।

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कमोडिटी CFDs विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम - सोना, चाँदी, तेल, प्राकृतिक गैस, आदि।

Xtrade के साथ दुनिया की प्रमुख कमोडिटीज़ का व्यापार शुरू करें। हमारी तीव्र और अभिनव व्यापार प्रणाली के साथ आपकी कमोडिटीज़ CFD बाज़ार तक तत्काल पहुँच होगी। एक कमोडिटी CFD का अनुबंध मूल्य कमोडिटी की मुद्रा में उद्धृत मूल्य के बराबर होता है। उदाहरण के लिए, अगर सोने की CFD का व्यापार $1,200.50 पर हो रहा है, तो एक औंस सोने की CFD का मूल्य $1,200.50 है।

मूल्य-निर्धारण

सीधे बाज़ार से वास्तविक समय के मूल्य देखें जहाँ अंतर्निहित साधन का व्यापार हो रहा है। Xtrade उद्धृत मूल्य पर पहुँचने के लिए बाज़ार के मध्य मूल्य पर छोटा-सा निश्चित कैलिब्रेटेड क्रय-विक्रय प्रीमियम लागू किया जाता है।

Transforming India: दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार भारत के पास

देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।

करीब 634 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार

साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ। तत्पश्चात 2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा। यानि 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर के आंकड़े से ऊपर निकल कर 633.6 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

32.6 प्रतिशत की वृद्धि

इस अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 32.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी आधार पर नवंबर 2021 तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।

भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार

दरअसल, वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला। सबसे खास बात यह रही कि ये उपलब्धि भारत ने कोविड संकट से लड़ते हुए हासिल की। यानि जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम है। भारत 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी वस्तु निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर रहा और इस लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट में भारत ने नॉन बासमती राइस, गेहूं, समुद्री उत्पाद, मसाले और चीनी जैसी चीजों ने जमकर एक्सपोर्ट किया। उसके बाद पेट्रोलियम प्रोडक्ट यूएई निर्यात किए गए। साथ ही अन्य देशों में रत्न और आभूषणों का भी विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम ज्यादा निर्यात किया गया। केवल इनता ही नहीं भारत ने इस बीच बांग्लादेश को ऑर्गेनिक और नॉन ऑर्गेनिक केमिकल निर्यात किया और ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स का सबसे ज्यादा निर्यात नीदरलैंड को किया। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि में काफी मदद मिली। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बहुत से फायदे होते हैं।

रुपए को मिलती है मजबूती

रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर साबित होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है। यानि जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो देश की करेंसी को मजबूती मिलती है।

आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी

जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है। भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है।

FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत

अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आती है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर एफडीआई आ रहा है। ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम होता है। अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा लगाते रहे हैं तो दुनिया के लिए यह संकेत जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनका भरोसा बढ़ रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए भी देश में बीते कुछ साल में बेहतर माहौल तैयार किया है। केंद्र सरकार ने देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का माहौल प्रदान किया। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्‍स है। इसमें कारोबार सुगमता के लिए कई तरह के पैमाने रखे गए हैं। इनमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंगल विंडो, सूचनाओं तक पहुंच, पारदर्शिता इत्यादि शामिल हैं। देश में इसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तैयार करता है। आज भारत इस लिहाज से भी काफी सुधार कर चुका है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अब भारत में निवेश को तैयार खड़े हैं।

विदेशी ऋण

सितम्बर, 2021 के अंत में भारत का विदेशी ऋण 593.1 बिलियन डॉलर था जो जून, 2021 के अंत के स्तर पर 3.9 प्रतिशत से अधिक था। आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2021 के अंत में विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम भारत के विदेशी ऋण ने पूर्व-संकट स्तर को पार कर लिया था लेकिन यह सितम्बर, 2021 के अंत में एनआरआई जमाराशियों से पुनरुत्थान की मदद और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वन-ऑफ अतिरिक्त एसडीआर आवंटन की मदद से दृढ़ हो गया। कुल विदेशी ऋण में लघु अवधि ऋण की हिस्सेदारी में थोड़ी सी गिरावट जरूर आई। यह हिस्सेदारी जो मार्च, 2021 के अंत में 17.7 प्रतिशत थी सितम्बर के अंत में 17 प्रतिशत हो गई। समीक्षा यह दर्शाती है कि मध्यम अवधि परिप्रेक्ष्य से भारत का विदेशी ऋण उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए आंके गए इष्टतम ऋण से लगातार कम चल रहा है।

भारत की लचीलापन

आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडारों से कुल विदेशी ऋण, लघु अवधि ऋण से विदेशी विनिमय भंडार जैसे बाह्य संवेदी सूचकांकों में सुधार को बढ़ावा मिला है। बढ़ते हुए मुद्रा स्फीति दबावों की प्रतिक्रिया में फेड सहित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्यीकरण की संभावना से पैदा हुई वैश्विक तरलता की संभावना का सामना करने के लिए भारत का बाह्य क्षेत्र लचीला है।

BHIM Aadhaar Pay

Bhim Aadhaar-Indian Bank is an Indian Bank mobile application available on the Google Play Store for Aadhaar Enabled Payment System (AEPS). It Enables Merchant to receive digital payments from customers through Aadhaar Authentication. Both Customer and Merchant should have their Aadhaar linked to their Bank Account. BHIM Aadhaar–Indian Bank allows the merchant to accept payment from a customer of any bank by authenticating the customer’s biometric directly from customer’s bank account.

Transforming India: दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार भारत के पास

देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।

करीब 634 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार

साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ। तत्पश्चात 2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा। यानि 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर के आंकड़े से ऊपर निकल कर 633.6 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

32.6 प्रतिशत की वृद्धि

इस अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 32.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी आधार पर नवंबर 2021 तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।

भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार

दरअसल, वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला। सबसे खास बात यह रही कि ये उपलब्धि भारत ने कोविड संकट से लड़ते हुए हासिल की। यानि जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा है। भारत 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी वस्तु निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर रहा और इस लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट में भारत ने नॉन बासमती राइस, गेहूं, समुद्री उत्पाद, मसाले और चीनी जैसी चीजों ने जमकर एक्सपोर्ट किया। उसके बाद पेट्रोलियम प्रोडक्ट यूएई निर्यात किए गए। साथ ही अन्य देशों में रत्न और आभूषणों का भी ज्यादा निर्यात किया गया। केवल इनता ही विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम नहीं भारत ने इस बीच बांग्लादेश को ऑर्गेनिक और नॉन ऑर्गेनिक केमिकल निर्यात किया और ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स का सबसे ज्यादा निर्यात नीदरलैंड को किया। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि में काफी मदद मिली। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बहुत से फायदे होते हैं।

रुपए को मिलती है मजबूती

रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर साबित होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है। यानि जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो देश की करेंसी को मजबूती मिलती है।

आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी

जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है। भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है।

FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत

अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आती है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर एफडीआई आ रहा है। ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम विदेशी निवेश बहुत अहम होता है। अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा लगाते रहे हैं तो दुनिया के लिए यह संकेत जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनका भरोसा बढ़ रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए भी देश में बीते कुछ साल में बेहतर माहौल तैयार किया है। केंद्र सरकार ने देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का माहौल प्रदान किया। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्‍स है। इसमें कारोबार सुगमता के लिए कई तरह के पैमाने रखे गए हैं। इनमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंगल विंडो, सूचनाओं तक पहुंच, पारदर्शिता इत्यादि शामिल हैं। देश में इसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तैयार करता है। आज भारत इस लिहाज से भी काफी सुधार कर चुका है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अब भारत में निवेश को तैयार खड़े हैं।

विदेशी ऋण

सितम्बर, 2021 के अंत में भारत का विदेशी ऋण 593.1 बिलियन डॉलर था जो जून, 2021 के अंत के स्तर पर 3.9 प्रतिशत से अधिक था। आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2021 के अंत में भारत के विदेशी ऋण ने पूर्व-संकट स्तर को पार कर लिया था लेकिन यह सितम्बर, 2021 के अंत में एनआरआई जमाराशियों से पुनरुत्थान की मदद और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वन-ऑफ अतिरिक्त एसडीआर आवंटन की मदद से दृढ़ हो गया। कुल विदेशी ऋण में लघु अवधि ऋण की हिस्सेदारी में थोड़ी सी गिरावट जरूर आई। यह हिस्सेदारी जो मार्च, 2021 के अंत में 17.7 प्रतिशत थी सितम्बर के अंत में 17 प्रतिशत हो गई। समीक्षा यह दर्शाती है कि मध्यम अवधि विदेशी मुद्रा व्यापारी सिग्नल सिस्टम परिप्रेक्ष्य से भारत का विदेशी ऋण उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए आंके गए इष्टतम ऋण से लगातार कम चल रहा है।

भारत की लचीलापन

आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडारों से कुल विदेशी ऋण, लघु अवधि ऋण से विदेशी विनिमय भंडार जैसे बाह्य संवेदी सूचकांकों में सुधार को बढ़ावा मिला है। बढ़ते हुए मुद्रा स्फीति दबावों की प्रतिक्रिया में फेड सहित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्यीकरण की संभावना से पैदा हुई वैश्विक तरलता की संभावना का सामना करने के लिए भारत का बाह्य क्षेत्र लचीला है।

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