निम्नलिखित तर्क बैरो और साला-ए-मार्टिन [3] के अध्याय 1 और हाबिल एट अल जैसे ग्रंथों में पूरी तरह से प्रस्तुत किए गए हैं . [४]

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गोल्डन रूल बचत दर

में अर्थशास्त्र , स्वर्ण नियम बचत दर की दर है बचत जो खपत की वृद्धि की स्थिर राज्य स्तर अधिकतम, [1] में उदाहरण के लिए के रूप में सोलो-हंस मॉडल । यद्यपि अवधारणा पहले जॉन वॉन न्यूमैन और मौरिस एलायस के कार्यों में पाई जा सकती है , इस शब्द को आम तौर पर एडमंड फेल्प्स के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है जिन्होंने 1 9 61 में लिखा था कि सुनहरा नियम "दूसरों के साथ वैसा ही करें जैसा आप उन्हें अपने साथ करेंगे" लागू किया जा सकता है " इष्टतम " के किसी न किसी रूप में आने के लिए मॉडल के अंदर अंतर-पीढ़ी , या सीधे शब्दों में कहें तो "आने वाली पीढ़ियों के लिए जैसा हम आशा करते हैं कि पिछली पीढ़ियों ने हमारे साथ किया।" [2]

सोलो ग्रोथ मॉडल में, १००% की एक स्थिर राज्य बचत दर का अर्थ है कि सभी आय भविष्य के उत्पादन के लिए निवेश पूंजी में जा रही है , जिसका अर्थ है कि स्थिर राज्य खपत स्तर शून्य है। 0% की बचत दर का अर्थ है कि कोई नई निवेश पूंजी नहीं बनाई जा रही है, जिससे पूंजी स्टॉक प्रतिस्थापन के बिना मूल्यह्रास हो जाता है। यह शून्य उत्पादन को छोड़कर एक स्थिर स्थिति को अस्थिर बनाता है, जिसका अर्थ फिर से शून्य का उपभोग स्तर है। कहीं बीच में बचत का "सुनहरा नियम" स्तर है, जहां बचत प्रवृत्ति ऐसी है कि प्रति व्यक्ति खपत अपने अधिकतम संभव स्थिर मूल्य पर है। उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम दूसरे शब्दों में, स्वर्ण-नियम पूंजी स्टॉक स्थायी उपभोग के उच्चतम स्तर से संबंधित है जिसे कायम रखा जा सकता है।

निजी और सार्वजनिक बचत

जापान की निजी बचत की उच्च दर की भरपाई उसके उच्च सार्वजनिक ऋण से होती है। इसका एक सरल अनुमान यह है कि सरकार ने भविष्य के कराधान से भुगतान करने के वादे के साथ ही अपने ही नागरिकों से सकल घरेलू उत्पाद का 100% उधार लिया है । यह आवश्यक रूप से निवेश के माध्यम से पूंजी निर्माण की ओर नहीं ले जाता है (यदि बांड की बिक्री से प्राप्त राजस्व बुनियादी ढांचे के विकास के बजाय वर्तमान सरकार की खपत पर खर्च किया जाता है , तो कहें)।

यदि उपभोग कर की दरों के स्थायी होने की आशा की जाती है तो सामान्य परिकल्पना को समेटना कठिन है कि बढ़ती दरें तर्कसंगत अपेक्षाओं के साथ उपभोग को हतोत्साहित करती हैं (चूंकि बचत का अंतिम उद्देश्य उपभोग है। [५] हालांकि, उपभोग कर अलग-अलग होते हैं (जैसे, सरकार में परिवर्तन या देशों के बीच आंदोलन), और इसलिए वर्तमान में उच्च उपभोग करों के भविष्य में किसी बिंदु पर दूर जाने की उम्मीद की जा सकती है, जिससे बचत के लिए प्रोत्साहन में वृद्धि होगी। स्थिर अवस्था में पूंजीगत आयकर के कुशल स्तर का अध्ययन किया गया है एक सामान्य संतुलन मॉडल के संदर्भ में और जुड (1985) ने दिखाया है कि इष्टतम कर दर शून्य है। [6] हालांकि, चामली (1986) का कहना है कि स्थिर स्थिति (अल्पावधि में) तक पहुंचने में एक उच्च पूंजी आयकर है एक कुशल राजस्व स्रोत। [7]

निवेशक निवेश के दौरान कहाँ कहाँ गलती करते हैं |

निवेश के दौरान निवेशक से अपनी कमाई करने के वशीभूत अनेकों गलतियाँ हो जाती हैं जिन्हें निवेशक की गलती की संज्ञा दी जा सकती है | हालांकि सभी निवेशक अपनी बुद्धि, चातुर्य, सोच और अपनी क्षमता के अनुसार निवेश सम्बन्धी निर्णय लेते हैं, लेकिन कभी-कभी निवेश में निवेशक से त्रुटियाँ हो जाती हैं, जो हानि का कारण बनती हैं । इसलिए आज हम हमारे इस लेख के माध्यम से उन गलतियों के बारे उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम में जानने की कोशिश करेंगे जो निवेशक द्वारा निवेश करने के दौरान की जाती हैं |

कहने का आशय यह है की हम उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम निवेशक की गलती का उल्लेख इसमें करने वाले हैं, ताकि कोई भी निवेशक जो शेयर बाजार, म्यूच्यूअल फण्ड इत्यादि में निवेश करना चाहते हैं वे ऐसी गलतियाँ न करें और निवेश करके वे अपनी कमाई करने में सफल हो सकें | सामान्य तौर पर माना जाता है कि निवेशकों द्वारा निवेश के दौरान निम्नलिखित गलतियाँ हो सकती हैं |

निवेशक की गलती

  1. निवेशक की गलती में जो सबसे पहली गलती है वह यह है की निवेशक अपनी जोखिम सहन करने की क्षमता का सही से अनुमान नहीं लगा पाते इसलिए वे कभी-कभी अति उत्साह में अधिक जोखिम वाले निवेशों में निवेश कर देते हैं । हालांकि कहा जाता है कि अधिक जोखिम वाले निवेश, से अधिक लाभ कमाई करने की संभावना होती है | लेकिन फिर भी निवेशक को अपनी जोखिम क्षमता के अनुरूप ही निवेश करना चाहिए |
  2. निवेशक की गलती में दूसरी गलती मनुष्य के स्वभाव से जुड़ी हुई है | हमेशा से मनुष्य का स्वभाव रहा है की वह दूसरों की तुलना में अपने आपको ही सही मानते आया है | लेकिन निवेशक को यह बात उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम माननी होगी की एक आदमी हर वक्त सही नहीं हो सकता | हालांकि यह भी सत्य है की अपने निवेश सम्बन्धी सभी निर्णय निवेशक को ही लेने होते हैं | लेकिन कभी-कभी अनुभवी लोगों की सलाह लेना कमाई की दृष्टी से लाभकारी एवं इसे नजरन्दाज उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम करना निवेशक की गलती बन सकती है |
  3. लालच बुरी बला है यह कहावत आपने कभी न कभी किसी न किसी के मुहं से अवश्य सुनी होगी, और कभी कभी इसे वास्तविक दुनिया में चरितार्थ होते हुए भी देखा होगा | निवेशक की गलती में यह गलती निवेशक के लालच से जुड़ी हुई है | अधिक कमाई करने के वशीभूत निवेशक लालच पर काबू नहीं रख पाते और लालच में गलत निवेश कर देते हैं । जैसे निवेश का नियम है कि कम मूल्य पर खरीदो, अधिक मूल्य पर बेचो । लेकिन प्रत्येक गिरावट पर तो खरीददारी नहीं की जा सकती और न प्रत्येक बढोत्तरी पर बिक्री की जा सकती है । सामान्यतः हम इसी ‘प्रत्येक शब्द पर भरोसा कर लेते हैं और यही ‘प्रत्येक शब्द निवेशक की गलती में तब्दील हो जाता उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम है |
  4. निवेश के दौरान निवेशक अपने Emotion पर काबू नहीं रख पाते जिसके कारण गलत निर्णय ले लेते हैं और उनके द्वारा किया गया निवेश उनकी कमाई करने के स्थान पर उन्हें हानि पहुंचाता है |
  5. निवेश करते समय कुछ निवेशक भीड़ का अनुसरण करते हैं । कहने का आशय यह है की जो निर्णय अन्यों ने लिया है वही निर्णय निवेशक भी ले लेता है, जबकि भीड़ से किसी विवेक पूर्ण निर्णय की उम्मीद नहीं की जा सकती है । इसलिए भीड़ का अनुसरण करना भी निवेशक की गलती के तौर पर सामने आता है |
  6. निवेशक की गलती में अगली गलती साझेदारी या भागीदारी से जुड़ी हुई है | निवेश कारोबार में भागीदारी सफल नहीं होती है । क्योंकि यदि निवेश के मामलों में सभी भागीदारों की सलाह ली जाएगी तो कोई निर्णय नहीं हो पाता और निवेश के सुनहरे अवसर निकल जाते हैं ।
  7. निवेश के दौरान कुछ निवेशक अपनी पूँजी को विभाजित नहीं करते और निवेशक की यही आदत आगे चलकर निवेशक की गलती के रूप में सामने आती है | क्योंकि कभी-कभी तो पूरी की पूरी पूँजी डूब जाती है । रिस्क को कम करने एवं कमाई की दृष्टी से निवेश का सुनहरा नियम है कि अपनी निवेश की पूंजी के कम से कम 10 हिस्से करो और एक योजना या एक प्रतिभूति पर 10 वें हिस्से से अधिक निवेश न करो ।
  8. कुछ निवेशक ओवर ट्रेडिंग करते हैं अर्थात जो सामने आया खरीद लिया, जिसने जो आफर दिया बेच दिया । ध्यान रहे निवेश के मामले में यह नीति ठीक नहीं होती । क्योंकि निवेश के निर्णय विवेक से लेने होते हैं ।
  9. निवेश के मामले में यदि निवेशक से कहीं कोई त्रुटि हो गई है । तो उसे समय रहते सुधार लेना बेहद जरुरी है | क्योंकि सफल और अच्छा निवेशक वह है जो त्रुटि का बोध होते ही उसे सुधार ले, जानबूझकर निवेशक की गलती की अनदेखी करना एक और भयंकर गलती है । इसलिए एक जिम्मेदार निवेशक बनिये और यह मत भूलिए की अपनी पूँजी को खोने से बचाने की जिम्मेदारी भी आप ही की है |

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अगर आप सस्ते में विदेश में बसना चाहते हैं, तो आप ग्रीस के एंटीकाइथेरा (Antikythera) द्वीप पर घर बना सकते हैं। यहां आपको घर बनाने के लिए सिर्फ 43 हजार रुपए में जमीन मिल सकती है।

निवेशक की गलती

  1. निवेशक की गलती में जो सबसे पहली गलती है वह यह है की निवेशक अपनी जोखिम सहन करने की क्षमता का सही से अनुमान नहीं लगा पाते इसलिए वे कभी-कभी अति उत्साह में अधिक जोखिम वाले निवेशों में निवेश कर देते हैं । हालांकि कहा जाता है कि अधिक जोखिम वाले निवेश, से अधिक लाभ कमाई करने की संभावना होती है | लेकिन फिर भी निवेशक को अपनी जोखिम क्षमता के अनुरूप ही निवेश करना चाहिए |
  2. निवेशक की गलती में दूसरी गलती मनुष्य के उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम स्वभाव से जुड़ी हुई है | हमेशा से मनुष्य का स्वभाव रहा है की वह दूसरों की तुलना में अपने आपको ही सही मानते आया है | लेकिन निवेशक को यह बात माननी होगी की एक आदमी हर वक्त सही नहीं हो सकता | हालांकि यह भी सत्य है की अपने निवेश सम्बन्धी सभी निर्णय निवेशक को ही लेने होते हैं | लेकिन कभी-कभी अनुभवी लोगों की सलाह लेना कमाई की दृष्टी से लाभकारी एवं इसे नजरन्दाज करना निवेशक की गलती बन सकती है |
  3. लालच बुरी बला है यह कहावत आपने कभी न कभी किसी न किसी के मुहं से अवश्य सुनी होगी, और कभी कभी इसे वास्तविक दुनिया में चरितार्थ होते हुए भी देखा होगा | निवेशक की गलती में यह गलती निवेशक के लालच से जुड़ी हुई है | अधिक उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम कमाई करने के वशीभूत निवेशक लालच पर काबू नहीं रख पाते और लालच में गलत निवेश कर देते हैं । जैसे निवेश का नियम है कि कम मूल्य पर खरीदो, अधिक मूल्य पर बेचो । लेकिन प्रत्येक गिरावट पर तो खरीददारी नहीं की जा सकती और न प्रत्येक बढोत्तरी पर बिक्री की जा सकती है । सामान्यतः हम इसी ‘प्रत्येक शब्द पर भरोसा कर लेते हैं और यही ‘प्रत्येक शब्द निवेशक की गलती में तब्दील हो जाता है |
  4. निवेश के दौरान निवेशक अपने Emotion पर काबू नहीं रख पाते जिसके कारण गलत निर्णय ले लेते हैं और उनके द्वारा किया गया निवेश उनकी कमाई करने के स्थान पर उन्हें हानि पहुंचाता है |
  5. निवेश करते समय कुछ निवेशक भीड़ का अनुसरण करते हैं । कहने का आशय यह है की जो निर्णय उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम अन्यों ने लिया है वही निर्णय निवेशक भी ले लेता है, जबकि भीड़ से किसी विवेक पूर्ण निर्णय की उम्मीद नहीं की जा सकती है । इसलिए भीड़ का अनुसरण करना भी निवेशक की गलती के तौर पर सामने आता है |
  6. निवेशक की गलती में अगली गलती साझेदारी या भागीदारी से जुड़ी हुई है | निवेश कारोबार में भागीदारी सफल नहीं होती है । क्योंकि यदि निवेश के मामलों में सभी भागीदारों की सलाह ली जाएगी तो कोई निर्णय नहीं हो पाता और निवेश के सुनहरे अवसर निकल उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम जाते हैं ।
  7. निवेश के दौरान कुछ निवेशक अपनी पूँजी को विभाजित नहीं करते और निवेशक की यही आदत आगे चलकर निवेशक की गलती के रूप में सामने आती है | क्योंकि कभी-कभी तो पूरी की पूरी पूँजी डूब जाती है । रिस्क को कम करने एवं कमाई की दृष्टी से निवेश का सुनहरा नियम है कि अपनी निवेश की पूंजी के कम से कम 10 हिस्से करो और एक योजना या एक प्रतिभूति पर 10 वें हिस्से से अधिक निवेश न करो ।
  8. कुछ निवेशक ओवर ट्रेडिंग करते हैं अर्थात जो सामने आया खरीद लिया, जिसने जो आफर दिया बेच दिया । ध्यान रहे निवेश के मामले में यह नीति ठीक उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम नहीं होती । क्योंकि निवेश के निर्णय विवेक से लेने होते हैं ।
  9. निवेश के मामले में यदि निवेशक से कहीं कोई त्रुटि हो गई है । तो उसे समय रहते सुधार लेना बेहद जरुरी है | क्योंकि सफल और अच्छा निवेशक वह है उचित निवेश के लिए सुनहरा नियम जो त्रुटि का बोध होते ही उसे सुधार ले, जानबूझकर निवेशक की गलती की अनदेखी करना एक और भयंकर गलती है । इसलिए एक जिम्मेदार निवेशक बनिये और यह मत भूलिए की अपनी पूँजी को खोने से बचाने की जिम्मेदारी भी आप ही की है |
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