B2BinPay अब व्यापारी सीमाओं का समर्थन करता है, भुगतान क्षमताओं का विस्तार करता है
B2BinPay, B2Broker ने घोषणा की है कि यह अब मर्चेंट इनवॉइस सीमाओं का समर्थन करता है। यह अपडेट "व्यापारी" प्रकार के खाते वाले ग्राहकों को विशिष्ट राशियों के लिए इनवॉइस जारी करने की अनुमति देगा, उन्हें उपलब्ध कराएगा। लेन-देन करते समय अधिक लचीलेपन और सुविधा के साथ। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, यह नई सुविधा तुरंत उपलब्ध है, और ग्राहक पहले से ही इसका उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, B2BinPay ने अपने एंटरप्राइज़ ग्राहकों के लिए कार्डानो के लिए समर्थन जोड़ा है। इस अपडेट के साथ, B2BinPay जारी है अपने ग्राहकों को सर्वोत्तम संभव भुगतान अनुभव, अधिक विकल्प और उनके भुगतानों पर अधिक नियंत्रण प्रदान करें।
व्यापारी चालान सीमाएं
नया B2BinPay अपडेट व्यापारियों को USD, EUR, USDT, USDC, और BTC सहित किसी भी डिफ़ॉल्ट वॉलेट मुद्रा में किसी भी राशि के लिए चालान बनाने की अनुमति देता है। इतना ही नहीं, बल्कि व्यापारियों के लिए व्यापार की स्थिति की समीक्षा B2BinPay भी उपलब्ध किसी भी अन्य वॉलेट मुद्रा में समान राशि की गणना करेगा। ग्राहक सुविधा के लिए व्यापारी। इसका मतलब है कि व्यापारी अब कई मुद्राओं में भुगतान स्वीकार कर सकते हैं, और ग्राहक चुन सकते हैं कि वे किस मुद्रा का भुगतान करना चाहते हैं, जिससे उन्हें अधिक लचीलापन और आराम मिलता है।
भुगतान पृष्ठ खरीदारी को पूरा करने का अगला चरण है; उपयोगकर्ता को मुद्रा का चयन करने के बाद भुगतान पृष्ठ पर पुनर्निर्देशित किया जाता है। यह पृष्ठ उपयोगकर्ताओं को अपनी भुगतान जानकारी दर्ज करने, उनके ऑर्डर की समीक्षा करने और अपना भुगतान जमा करने की अनुमति देता है।
चूंकि क्रिप्टोकरेंसी और अस्थिरता साथ-साथ चलते हैं, B2BinPay ने एक ऐसी प्रणाली लागू की है जो हर 15 मिनट में विनिमय दर की पुनर्गणना और लॉक करती है। इस तरह, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको सबसे सटीक दर मिल रही है। और यदि बाजार बदलते समय बदलता है आप एक लेन-देन के बीच में हैं, चिंता न करें - आप हमेशा दर की पुनर्गणना स्वयं कर सकते हैं, और 15 मिनट का टाइमर फिर से शुरू हो जाएगा।
व्यापारी के पास अब एक सीमा निर्धारित करने की क्षमता है कि चालान कितने समय के लिए है सक्रिय। पहले बताई गई विनिमय दर की 15 मिनट की पुनर्गणना, बनाए गए इनवॉइस के सक्रिय होने के समय से भिन्न होती है। व्यापारी इनवॉइस को सात दिनों के बाद समाप्त होने के लिए सेट कर सकते हैं, या वे इनवॉइस के लिए कोई समाप्ति तिथि नहीं चुन सकते हैं।
इनवॉइस के लिए नई स्थितियां भी उपलब्ध हैं, जो आपको आपके इनवॉइसिंग पर अधिक नियंत्रण देने में बहुत सहायक हैं। फिलहाल, प्रत्येक इनवॉइस की निम्न स्थिति हो सकती है:
अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 119.42 अरब डॉलर पर
नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) अमेरिका बीते वित्त वर्ष (2021-22) में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। इससे दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक रिश्तों का पता चलता है। इस तरह भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछ़े छोड़ दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था। आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब डॉलर था।
वित्त वर्ष के दौरान चीन को भारत का निर्यात मामूली बढ़कर 21.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 21.18 अरब डॉलर रहा था।
वहीं इस दौरान चीन से भारत का आयात बढ़कर 94.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 65.21 अरब डॉलर पर था। वित्त वर्ष के दौरान भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 72.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 44 अरब डॉलर रहा था।
व्यापार क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वर्षों में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा, जिससे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि भारत एक भरोसेमंद व्यापार भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। वैश्विक कंपनियां अपने कारोबार का भारत और अन्य देशों में विविधीकरण कर रही हैं।
खान ने कहा, ‘‘आगामी बरसों में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा। भारत, अमेरिका की हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) पहल में शामिल हुआ है। इससे आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।’’
भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान (आईआईपीएम), बेंगलूर के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि 1.39 अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते अमेरिका और भारत की कंपनियों के पास प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के व्यापारियों के लिए व्यापार की स्थिति की समीक्षा काफी अवसर हैं।
जोशी ने बताया कि भारत द्वारा अमेरिका को मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों, पालिश हीरों, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल आदि का निर्यात किया जाता है। वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है।
अमेरिका उन कुछ देशों में है जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष की स्थिति में है।
अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 32.8 अरब डॉलर का है। 2013-14 से 2107-18 तक और उसके बाद 2020-21 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
B2BinPay अब व्यापारी सीमाओं का समर्थन करता है, भुगतान क्षमताओं का विस्तार करता है
B2BinPay, B2Broker ने घोषणा की है कि यह अब मर्चेंट इनवॉइस सीमाओं का समर्थन करता है। यह अपडेट "व्यापारी" प्रकार के खाते वाले ग्राहकों को विशिष्ट राशियों के लिए इनवॉइस जारी करने की अनुमति देगा, उन्हें उपलब्ध कराएगा। लेन-देन करते समय अधिक लचीलेपन और सुविधा के साथ। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, यह नई सुविधा तुरंत उपलब्ध है, और ग्राहक पहले से ही इसका उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, B2BinPay ने अपने एंटरप्राइज़ ग्राहकों के लिए कार्डानो के लिए समर्थन जोड़ा है। इस अपडेट के साथ, B2BinPay जारी है अपने ग्राहकों को सर्वोत्तम संभव भुगतान अनुभव, अधिक विकल्प और उनके भुगतानों पर अधिक नियंत्रण प्रदान करें।
व्यापारी चालान सीमाएं
नया B2BinPay अपडेट व्यापारियों को USD, EUR, USDT, USDC, और BTC सहित किसी भी डिफ़ॉल्ट वॉलेट मुद्रा में किसी भी राशि के लिए चालान बनाने की अनुमति देता है। इतना ही नहीं, बल्कि B2BinPay भी उपलब्ध किसी भी अन्य वॉलेट मुद्रा में समान राशि व्यापारियों के लिए व्यापार की स्थिति की समीक्षा की गणना करेगा। ग्राहक सुविधा के लिए व्यापारी। इसका मतलब है कि व्यापारी अब कई मुद्राओं में भुगतान स्वीकार कर सकते हैं, और ग्राहक चुन सकते हैं कि वे किस मुद्रा का भुगतान करना चाहते हैं, जिससे उन्हें अधिक लचीलापन और आराम मिलता है।
भुगतान पृष्ठ खरीदारी को पूरा करने का अगला चरण है; उपयोगकर्ता को मुद्रा का चयन करने के बाद भुगतान पृष्ठ पर पुनर्निर्देशित किया जाता है। यह पृष्ठ उपयोगकर्ताओं को अपनी भुगतान जानकारी दर्ज करने, उनके ऑर्डर की समीक्षा करने और अपना भुगतान जमा करने की अनुमति देता है।
चूंकि क्रिप्टोकरेंसी और अस्थिरता साथ-साथ चलते हैं, B2BinPay ने एक ऐसी प्रणाली लागू की है जो हर 15 मिनट में विनिमय दर की पुनर्गणना और लॉक करती है। इस तरह, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको सबसे सटीक दर मिल रही है। और यदि बाजार बदलते समय बदलता है आप एक लेन-देन के बीच में हैं, चिंता न करें - आप हमेशा दर की पुनर्गणना स्वयं कर सकते हैं, और 15 मिनट का टाइमर फिर से शुरू हो जाएगा।
व्यापारी के पास अब एक सीमा निर्धारित करने की क्षमता है कि चालान कितने समय के लिए है सक्रिय। पहले बताई गई विनिमय दर की 15 मिनट की पुनर्गणना, बनाए गए इनवॉइस के सक्रिय होने के समय से भिन्न होती है। व्यापारी इनवॉइस को सात दिनों के बाद समाप्त होने के लिए सेट कर सकते हैं, या वे इनवॉइस के लिए कोई समाप्ति तिथि नहीं चुन सकते हैं।
इनवॉइस के लिए नई स्थितियां भी उपलब्ध व्यापारियों के लिए व्यापार की स्थिति की समीक्षा हैं, जो आपको आपके इनवॉइसिंग पर अधिक नियंत्रण देने में बहुत सहायक हैं। फिलहाल, प्रत्येक इनवॉइस की निम्न स्थिति हो सकती है:
अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार, 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 119.42 अरब डॉलर पर
नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) अमेरिका बीते वित्त वर्ष (2021-22) में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। इससे दोनों देशों के बीच मजबूत होते आर्थिक रिश्तों का पता चलता है। इस तरह भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछ़े छोड़ दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था। आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब डॉलर था।
वित्त वर्ष के दौरान चीन को भारत का निर्यात मामूली बढ़कर 21.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 21.18 अरब डॉलर रहा था।
वहीं इस दौरान चीन से भारत का आयात बढ़कर 94.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 65.21 अरब डॉलर पर था। वित्त वर्ष के दौरान भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 72.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 44 अरब डॉलर रहा था।
व्यापार क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी वर्षों में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा, जिससे दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि भारत एक भरोसेमंद व्यापार भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। वैश्विक कंपनियां अपने कारोबार का भारत और अन्य देशों में विविधीकरण कर रही हैं।
खान ने कहा, ‘‘आगामी बरसों में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ेगा। भारत, अमेरिका की हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) पहल में शामिल हुआ है। व्यापारियों के लिए व्यापार की स्थिति की समीक्षा इससे आर्थिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी।’’
भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान (आईआईपीएम), बेंगलूर के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि 1.39 अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते अमेरिका और भारत की कंपनियों के पास प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के काफी अवसर हैं।
जोशी ने बताया कि भारत द्वारा अमेरिका को मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों, पालिश हीरों, फार्मा उत्पाद, आभूषण, हल्के तेल आदि का निर्यात किया जाता है। वहीं अमेरिका से भारत पेट्रोलियम पदार्थ, तरल प्राकृतिक गैस, सोने, कोयले और बादाम का आयात करता है।
अमेरिका उन कुछ देशों में है जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष की स्थिति में है।
अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 32.8 अरब डॉलर का है। 2013-14 से 2107-18 तक और उसके बाद 2020-21 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
रूस के सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most Favored Nation – MFN) व्यापार की स्थिति को रद्द करेगा : US
राष्ट्रपति बिडेन ने घोषणा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका-जी 7, यूरोपीय संघ और नाटो के साथ-साथ रूस के सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most Favored Nation – MFN) व्यापार की स्थिति को रद्द कर देगा। रूस की PNTR स्थिति को रद्द करने से संयुक्त राज्य अमेरिका को सभी रूसी आयातों पर नए टैरिफ बढ़ाने और लागू करने की अनुमति मिल जाएगी। अमेरिका में, “मोस्ट फेवर्ड नेशन” का दर्जा स्थायी सामान्य व्यापार संबंध (पीएनटीआर) के रूप में भी जाना जाता है। केवल उत्तर कोरिया और क्यूबा को ही अमेरिका से “सबसे पसंदीदा राष्ट्र” का दर्जा प्राप्त नहीं है।
इस कदम का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूसी सरकार को दंडित करना है। संयुक्त राज्य अमेरिका भी रूस को विलासिता के सामान का निर्यात नहीं करेगा। इससे पहले अमेरिका रूस से तेल और ऊर्जा के आयात पर रोक लगा चुका है। इस कार्रवाई से रूस को समृद्ध पश्चिमी बाजारों में निर्यात करने की उसकी क्षमता को नुकसान पहुंचाकर आर्थिक नुकसान होगा; यह अमेरिकियों व्यापारियों के लिए व्यापार की स्थिति की समीक्षा और हमारे व्यापारिक भागीदारों के लिए लागत भी बढ़ाएगा जो प्रभावित रूसी उत्पादों पर भरोसा कर सकते हैं।
मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा क्या है?
एक सबसे पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा पदनाम का मतलब है कि दो देश एक दूसरे के साथ सर्वोत्तम संभव शर्तों के तहत व्यापार करने के लिए सहमत हुए हैं – कम टैरिफ, व्यापार के लिए कम बाधाएं और उच्चतम संभव आयात की अनुमति है।
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