अपने पोर्टफोलियो के लिए एसजीबी पर विचार करने के 5 कारण!

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या एसजीबी केंद्र सरकार की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए बॉन्ड हैं। ये बांड भौतिक सोना द्वारा समर्थित हैं और सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। RBI इन बांडों को पूरे वर्ष किश्तों में जारी करता है और अंतिम किश्त वर्तमान में सदस्यता के लिए खुला है, जिसकी अंतिम तिथि 23 दिसंबर 2022 है।

ये एसजीबी उन तरीकों में से एक हैं जिनसे निवेशक पीली धातु में निवेश कर सकते हैं। हालांकि, इन एसजीबी के कई लाभ हैं जो उन्हें सोने में निवेश के अन्य तरीकों से बेहतर विकल्प बनाते हैं। यहां 5 सबसे अच्छे फायदे हैं।

ब्याज दर

एसजीबी अनिवार्य रूप से बांड हैं, जिसका अर्थ है कि यह एक ऋण सुरक्षा है और सरकार इस पर ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। इसलिए, पूंजी की सराहना के अलावा, जो कि सोने की दरों में बढ़ोतरी के रूप में आनंद ले सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत सकता है, निवेशकों को प्रति वर्ष एक निश्चित 2.5% ब्याज भी मिलता है (अर्ध-वार्षिक जमा) जो एसजीबी की अपील को और बढ़ाता है क्योंकि कोई अन्य विकल्प निश्चित रिटर्न प्रदान नहीं करता है। पैसा जो अनिवार्य रूप से सोने में निवेश किया जाता है।

कोई डिफ़ॉल्ट जोखिम नहीं

चूंकि ये बांड भारत सरकार की संप्रभु गारंटी द्वारा समर्थित हैं, इसलिए डिफ़ॉल्ट का जोखिम लगभग नगण्य है। सिद्धांत रूप में, देश अपने ब्याज दायित्वों पर डिफ़ॉल्ट कर सकते हैं, हालिया उदाहरण श्रीलंका है, लेकिन भारत, दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, डिफ़ॉल्ट के जोखिम के करीब नहीं है।

कैपिटल गेन टैक्स पर छूट

यदि आप भौतिक या डिजिटल रूप में भी सोना खरीदते हैं, तो आप संपत्ति के परिसमापन से उत्पन्न होने वाले किसी भी पूंजीगत लाभ पर कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। हालांकि, एसजीबी के मामले में, परिपक्वता के समय (8 वर्ष) तक सोने की कीमत बढ़ने की स्थिति में कोई पूंजीगत लाभ कर नहीं देना होता है। यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि समय से पहले निकासी (सरकार 5 साल बाद बाहर निकलने का विकल्प देती है) पर पूंजीगत लाभ कर लगेगा। साथ ही, SGB पर प्राप्त ब्याज कर योग्य है।

ऋण के लिए संपार्श्विक

हालांकि फिजिकल गोल्ड को लोन के लिए गिरवी रखा जा सकता है, लेकिन कुछ समस्याएं तब आती हैं जब यह ईटीएफ या डिजिटल गोल्ड के रूप में होता है। एसजीबी के मामले में, वित्तीय संस्थान आपको आसानी से एसजीबी के खिलाफ ऋण दे सकते हैं जो एक और फायदा है अगर निवेशकों को नकदी की जरूरत है लेकिन साथ ही वे अपने सोने के निवेश को समाप्त नहीं करना चाहते हैं।

कोई संग्रहण लागत/चोरी जोखिम नहीं

भौतिक रूप में सोना न होना ही इसे सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत सुरक्षित स्थान पर रखने के झंझट से बचाता है। यह आम तौर पर कुछ संबद्ध लागतों के साथ आता है, जैसे बैंक लॉकर। साथ ही चोरी का खतरा भी हमेशा बना रहता है। डीमैट फॉर्म में होने के कारण एसजीबी को स्टोरेज स्पेस/लागत की आवश्यकता नहीं होती है और चोरी का जोखिम नहीं होता है। यह आपके डीमैट खाते में किसी भी अन्य प्रतिभूति जैसे शेयरों की तरह ही बैठता है।

क्या शेयर बाजार में निवेश बेहतर: क्या करें निवेशक

बढ़ती मंहगाई, बेरोज़गारी और कमजोर विकास की दर के बीच बढ़ता शेयर बाजार सोचने पर मजबूर करता है कि क्या शेयर निवेश अभी भी बेहतर है. खासकर ऐसे वक्त जब वैश्विक स्थिति डांवाडोल है, बाजार मंदी का संकेत दे सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत रहे हैं और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. भारी उथल पुथल चारों तरफ व्याप्त है.

दूसरी तरफ भारतीय शेयर बाजार में देशी निवेशक भरपूर पैसा लगाते जा रहें हैं जिससे शेयर बाजार मजबूत दिख रहा है. जहां विदेशी निवेशक पैसा निकाल रहे हैं और सुरक्षित जगह अमेरिका में पैसा लगा रहे हैं क्योंकि अमेरिका ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है.

बढ़ती ब्याज दरों के कारण अमेरिका में ज्यादा निवेश होना न केवल डालर को मजबूत कर रहा है अपितु पूरे विश्व में ब्याज दरों को बढ़ाने के संकेत दे रहा है.

दीर्घ काल में अमेरिका को ही इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा तब डालर कमजोर भी होगा और अमेरिकन कंपनियों का प्राफिट भी सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत कम होगा, लेकिन फिलहाल भारतीय शेयर बाजार की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती.

तो सरकार को क्या कदम उठाने होंगे और क्या निवेशक को शेयर बाजार में बने रहना चाहिए कि बाहर हो जाना चाहिए? इसके लिए सबसे पहले इन तथ्यात्मक बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा:

१. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) ने इस महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपए की निकासी की है.

२. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ रही गिरावट से इस निकासी को बल मिला है.

३. इसके साथ ही FPI ने वर्ष 2022 में अब तक कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर ली है.

४. एफपीआई की गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से भरपूर रहने की ही स्थिति दिख रही है.

५. डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अक्टूबर में अब तक 5,992 करोड़ रुपये की निकासी भारतीय बाजार से कर ली है. इस हिसाब से पिछले कुछ दिनों में उनकी निकासी की मात्रा में थोड़ी गिरावट आई है.

६. जियो-पॉलिटिकल रिस्क बने रहने, मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और बॉन्ड यील्ड में वृद्धि की उम्मीद से एफपीआई की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है.

७. एफपीआई के निकट अवधि में ज्यादा बिक्री करने की संभावना नहीं है लेकिन डॉलर में कमजोरी आने के बाद ही वे खरीदार की स्थिति में लौटेंगे.

८. इस तरह एफपीआई का रुख अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नजरिये सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत पर निर्भर करेगा.

९. बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है.

१०. अगर एफपीआई पहले बेचे गए शेयर को ही आज के समय में खरीदना चाहेंगे तो उन्हें उसकी बढ़ी हुई कीमत चुकानी होगी.

यह अहसास नकारात्मक माहौल में भी एफपीआई की बिकवाली को रोकने का काम कर रहा है.

११. सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये की निकासी की थी.

१२. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख से एफपीआई के बीच बिकवाली का जोर रहा था.

१३. भारत से संबंधित किसी जोखिम के बजाय डॉलर को मिल रही मजबूती विदेशी निवेशकों की इस निकासी की मुख्य वजह रही है.

१४. बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है.

१५. एफपीआई ने खास तौर पर वित्त, एफएमसीजी और आईटी क्षेत्रों में बिकवाली की है.

१६. इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार से भी अक्बूटर में 1,950 करोड़ रुपये की निकासी की है.

Is it better to invest in the stock market what investors should do

उपरोक्त तथ्यों से साफ है कि सरकार को शेयर बाजार और रूपए की मजबूती के लिए ये कदम उठाने होंगे:

१. ब्याज दरें बढ़ाने की बजाय औद्योगिक और कृषि उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा.

२. डालर पर निर्भरता को कम करने पर जोर देना होगा और इंतजार करना होगा डालर में कमजोरी आने का.

३. सोने के आयात को कम करना होगा.

४. विदेशी निवेशकों को यह समझाने की कोशिश करनी होगी कि वैश्विक दृष्टिकोण से भारत में निवेश बेहतर और सुरक्षित है और इसके लिए धार्मिक उन्माद पर फोकस न करके मजबूत आर्थिक नीतियों पर ध्यान देना होगा.

५. शेयर बाजार में पैसे उगाही की सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत परमीशन सिर्फ और सिर्फ अच्छी असेट बेस एवं लाभ कमाने वाली कंपनियों को दिया जाना चाहिए.

६. कर ढांचे में तर्कसंगतता और सरलीकरण सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत लाने पर जोर देना होगा.

७. आधारभूत संरचना पर खर्च समय पर पूरे हो, इस तथ्य पर ध्यान देते हुए निवेश आकर्षित करना होगा.

८. जिनपिंग के फिर चुने जाने के बाद जरूरी हो गया है कि हम अपनी विदेश नीति में परिवर्तन लाए ताकि अपने पड़ोसियों से कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार आए.

९. नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम करते हुए काले धन को अर्थव्यवस्था में नियंत्रित करना होगा.

१०. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना होगा और सरकारी खर्च पर लगाम कसनी होगी.

इसी तरह निवेशक भी फिलहाल शेयर बाजार में सतर्कता से निवेश करें जबतक वैश्विक हालात में कुछ निर्णायक समझौते नहीं हो जाते, खासकर भविष्य में चीन की ताइवान के प्रति क्या नीति होती है और रूस युक्रेन युद्ध रुकने के आसार पैदा होते है कि नहीं. साथ ही सरकार द्वारा आर्थिक नीतियों के प्रति कितनी संवेदनशीलता दिखाई जाती है, उस पर भी शेयर बाजार में पैसे की सुरक्षा निर्भर होगी.

दूसरी बात भारत का हाउसिंग मार्केट वर्तमान में अहम स्टेज में खड़ा है. उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक के भविष्य में रेपो रेट में बढ़ोतरी के चलते ब्याज दरें 2019 के लेवल से भी ऊपर जा सकती हैं. आरबीआई और नेशनल हाउसिंग बैंक के पास उपलब्ध डेटा के अनुसार भारत में प्रॉपर्टी की एवरेज वैल्यू भी 2023 में तेजी से बढ़ने की संभावना है.

नतीजतन, अगर आप अब तक अपने सपनों का घर खरीदने के प्लान को स्थगित कर रहे हैं तो यह फेस्टिव सीजन आपके लिए सही समय हो सकता है.

मतलब साफ़ है कि सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत फिलहाल पैसा सुरक्षित हो, भले ही आमदनी कुछ कम हो – इस सिद्धांत पर अगले एक वर्ष तक चलना होगा और साथ ही सरकार को भी अपने खर्चे पर नियंत्रण करना होगा. जरुरत से ज्यादा उधारी और पैसे बांटने से बचना होगा लेकिन आने वाले समय में होने वाले चुनाव के मद्देनजर ऐसा कुछ हो पाना संभव प्रतीत नहीं होता दिखता और इसीलिए निवेशक शेयर बाजार के बजाय सरकार द्वारा रजिस्टर्ड प्रतिभुतियों में निवेश करें और रियल एस्टेट में लगाए तो ही बेहतर है.

सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत

Photo: WikiMedia Commons

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स्‍वीडन ने कचरे के पुन:उपयोग और पुनर्चक्रण को जीवनशैली का हिससा बनाने के लिए निवेश किया है। स्‍वीडन में 99 प्रतिशत से अधिक सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत घरेलू कचरे का किसी न किसी रूप में पुन: उपयोग किया जाता है। इसतथ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए कि 1975 में 38 प्रतिशत घरेलू कचरे का दोबारा इस्‍तेमाल किया जाता था, यह कहा जा सकता है कि पिछले दशकों के दौरान यह देश पुनर्चक्रण क्रांति से गुजरा है। वर्तमान नियम के अनुसार रिसाइकलिंग स्‍टेशन (6000 स्‍टेशन) किसी भी आवासीय क्षेत्र से 300 मीटर से अधिक दूर नहीं हो सकते। आज देश का केवल एक प्रतिशत कचरा भराव क्षेत्र में फेंका जाता है।

यूरोपीय संघ के निर्देशों 2008/98/ईसी के अनुसार चरणबद्ध तरीके से निपटान अपशिष्‍ट प्रबंधन का मूलभूत सिद्धांत है। स्‍थानीय ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन की योजना कई वर्ष पहले 1979 में शुरु हुई। इसके साथ ही कीप स्‍वीडन टाइडी फाउंडेशन के जरिए वर्ष 1983 में एक अभियान शुरु किया गया था जिसमें ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन के संबंध में जागरुकता फैलाने के लिए सार्वजनिक समूहों और एनजीओ की सहायता ली गई थी। कचरे को दोबारा इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने और शहर को साफ रखने जागरुकता अभियान के लिए फाउंडेशन ने स्‍थानीय निकायों के साथ मिलकर काम किया। वर्ष 1994 में कचरा उत्‍पन्‍न करने वाले की जिम्‍मेदारी तय की गई थी जिससे पहले स्‍वीडन के ईपीए ने एक जीवनचक्र मूल्‍यांकन कराया ताकि यह पता लगाया जा सके कि यदि कचरे का दोबारा इस्‍तेमाल बढ़ता है तो देश में बेहतर अपशिष्‍ट प्रबंधन कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है। विस्‍तारित उत्‍पादक उत्‍तरदायित्‍व नीति (ईपीआर) में कचने के निपटान के लिए विकेंद्रीकृत तरीकों को प्राथमिकता दी गई ताकि लागत को न्‍यूनतम किया जा सके और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। ये पहले के एमएसडब्‍ल्‍यू नियमों से बिल्‍कुल अलग है जिसमें सार्वजनिक कचरे के निपटान के लिए केंद्रीकृत तरीकों पर जोर दिया जाता था और अंतत: भराव क्षेत्रों को बढ़ावा मिलता था।

भराव क्षेत्रों को हतोत्‍साहित करना: एसडब्‍ल्‍यूएम नियम 2016 में यह घोषणा की गई है कि शहरों के समूह के लिए साफ भराव क्षेत्रों का निर्माण होते ही मिश्रित कचरे को भराव क्षेत्र में डालना अथवा फेंकना बंद करना होगा। समस्‍या यह है कि यदि भराव क्षेत्र में कचरा डालने की अनुमति दी जाती है, चाहे वह साफ ही क्‍यों न हो, तो अनुपयोगी कचरे को भराव क्षेत्र में डालने की अनुमति न देने संबंधी प्रावधानों को लागू करना कठिन होगा।

1994 में शुरु किए गए नियम के अनुसार कचरा उत्‍पन्‍न करने वाले ही इसे इकट्ठा करने, इसका निपटान करने और दोबारा उपयोग करने के लिए जिम्‍मेदार होते हैं। उत्‍पादक अंतिम प्रयोक्‍ता को यह सूचित करते हैं कि उन्‍हें किस तरह उत्‍पाद का निपटान करना चाहिए। नगर निकाय केवल उस कचरे का प्रबंधन करते हैं जिसके लिए उत्‍पादक जिम्‍मेदार नहीं है।

स्‍वीडन के पर्यावरणीय कोड के अनुसार, अपशिष्‍ट प्रबंधन योजना का उल्‍लंघन करने पर व्‍यक्ति को एक साल की जेल हो सकती है। व्‍यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। एक परिवार द्वारा कचरे के लिए दिया जाने वाला मासिक शुल्‍क एक सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत घर के लिए 2,000 स्‍वीडिश मुद्रा (लगभग 15,000 रुपए) और एक अपार्टमेंट के लिए लगभग 1,260 स्‍वीडिश मुद्रा (लगभग 10,000) सिद्धांत में बीओ के लिए निवेश संकेत रुपए के बीच है। कचरे को उपयोगी और अनुपयोगी के बीच बांटने को बढ़ावा देने के लिए यह व्‍यवस्‍था की गई है कि जो परिवार कचरे को अधिक मात्रा में अलग करेगा नगर निगम उससे कम शुल्‍क वसूल करेंगे, चूंकि शुल्‍क वजन पर आधारित है: इसलिए कचरा जितना अलग होगा, वजन उतना ही कम होगा।

भराव क्षेत्र कर: भराव क्षेत्र कर 1 जनवरी, 2000 को लागू किया गया था जिसने एमएसडब्‍ल्‍यू को भराव क्षेत्र में जाने से रोकने तथा कचरे को अलग करने एवं इसके पुन: इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने में महत्‍वूपर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 2002, 2003 और अंतत: 2006 में इस कर को बढ़ाने से एमएसडब्‍ल्‍यू के पुन: इस्‍तेमाल किए जाने वाले सामान में लगातार बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2016 में भराव क्षेत्र कर एक टन के लिए 500 स्‍वीडिश मुद्रा (लगभग 4,000 रुपएा) हो गया है। जैविक तथा अन्‍य सामान के पुन: इस्‍तेमाल को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2006 में कचरे को जलाने पर भी कर लगाया गया था लेकिन 2010 में इसे समाप्‍त कर दिया गया। वर्ष 2001 में स्‍वीडन की सरकार ने भराव क्षेत्र संबंधी अपशिष्‍ट अध्‍यादेश(2001:512) जारी किया था जिसमें कुछ अपवादों (ईटीसी/एससीपी, 2009) के साथ ज्‍वलनशील अपशिष्‍ट (2001 से) और जैविक कचरे (2005 से) को फेंकने से रोककर आने वाले वर्षों में अपनाए जाने वाले उपाय निर्धारित किए गए हैं।

अपशिष्‍ट संबंधी स्‍वीडन की कार्य योजना 2012-17 में ध्‍यान दिए जाने वाले मुख्‍य क्षेत्र हैं:

रेटिंग: 4.48
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 353