Options Trading: क्या होती है ऑप्शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्या हो आपकी रणनीति
Options Trading: निश्चित ही ऑप्शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.
By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ 03:40 PM (IST)
ऑप्शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )
डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.
क्या है ऑप्शंस ट्रेडिंग?
Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्तेमाल किया जाता है स्ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्स को भविष्य में जाता हुआ देखते हैं.
जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.
धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.
ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.
जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.
इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.
होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.
ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.
ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
- डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
- समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
- अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
- प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.
नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्त किया जा सकता है.
(डिस्क्लेमर : प्रकाशित विचार एक्सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्य लें.)
Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
ऑप्शन की पाठशाला: कब बेचते हैं कॉल-पुट
इस सीरीज में विरेंद्र ने कई हिस्सों में ऑप्शन की बारीकी समझाने की कोशिश की है।
बाजार में कमाना चाहते हैं पैसा लेकिन वायदा बाजार की जटिलता से लगता है डर। तो अब आपका डर खत्म करने आ रहे हैं विरेंद्र कुमार । विरेंद्र से आसान भाषा में समझें ऑप्शन क्या होता है और कैसे इससे पैसा कमाया जा सकता है। इस सीरीज में विरेंद्र ने कई हिस्सों में ऑप्शन की बारीकी समझाने की कोशिश की है।
क्या होते हैं ऑप्शन
ऑप्शन शेयर को खरीदने-बेचने का अधिकार देता है। ऑप्शन की अवधि 1 सीरीज की होती है। ऑप्शन खरीदने के लिए प्रीमियम देना पड़ता है। ऑप्शन में मुनाफा असीमित और नुकसान सीमित होता है। ऑप्शन ज्यादा से ज्यादा नुकसान आपके प्रीमियम का होता है। उदाहरण के लिए निफ्टी 11000 कॉल में 6 रुपये की प्रीमियम दर से 75 के एक लॉट को खीदने की कामत होगी 6*75= 470 रुपये। अब निफ्टी क्रैश होने पर भी आपको ज्यादा से ज्यादा 470 रुपये का ही नुकसान होगा। वहीं, निफ्टी 11000 पहुंचा को प्रीमियम बढ़कर 40 रुपये से भी ज्यादा होना संभव है।
फ्यूचर्स और ऑप्शन में अंतर
फ्यूचर्स में नुकसान असीमित होता है। फ्यूचर्स में लॉट की पूरी कीमत का मार्जिन देना पड़ता है। वहीं, ऑप्शन में सिर्फ प्रीमियम देकर सौदा ले सकते हैं।
बाजार में गिरावट का रुख हो तो कॉल ऑप्शन से बचें
कॉल ऑप्शन खरीदने में आपने जितना प्रीमियम दिया है, अधिकतम उतना ही नुकसान हो सकता है। लेकिन दुनियाभर में 95% ऑप्शन खरीदने वाले की तुलना में बेचने वाले को ज्यादा मुनाफा होता है। कॉल ऑप्शन खरीदने का कोई ‘गोल्डन रूल’ तो नहीं, लेकिन कुछ तरीके हैं जिनसे मदद मिल सकती है।
बेहद सस्ते ओटीएम कॉल ऑप्शन से बचें : ओटीएम यानी आउट ऑफ द मनी कॉल ऑप्शन उसे कहते हैं जहां स्ट्राइक प्राइस मार्केट प्राइस से ज्यादा हो। रिलायंस इंडस्ट्रीज का भाव 900 है तो 1,000 रु. के स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन 1 रु. प्रीमियम में मिल सकता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप इसे खरीद ही लें। प्रीमियम इसलिए कम है क्योंकि स्टॉक के इस स्ट्राइक प्राइस पर जाने की गुंजाइश कम है।
कौन सा तरीका अपनाते हैं, यह स्पष्ट हो : ऑप्शन में दो तरीके से पैसे बना सकते हैं। रिलायंस का 920 रु. का कॉल 8 रु. प्रीमियम पर खरीदा। स्पॉट कीमत 900 से बढ़कर 925 रु. हो गई तो ऑप्शन की वैल्यू भी बढ़ जाएगी। दूसरा तरीका यह है कि कीमत में ज्यादा अंतर न हो, लेकिन अस्थिरता के कारण ऑप्शन में ज्यादा रिटर्न की उम्मीद हो। ऑप्शन में ट्रेड करते समय स्पष्ट रहें कि आप कौन सा तरीका अपनाते हैं।
चार्ट का इस्तेमाल करें, ब्रेकइवन प्वाइंट समझें : टेक्निकल चार्ट पर रेजिस्टेंस और सपोर्ट लेवल समझना जरूरी है। किसी कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ स्टॉक को रेजिस्टेंस लेवल पर खरीदने की तुलना में सपोर्ट लेवल पर खरीदना ज्यादा फायदेमंद होगा। एक्जिट प्राइस आपका ब्रेकइवन प्वाइंट नहीं होना चाहिए। 920 का कॉल 6 रु. प्रीमियम पर खरीद रहे हैं तो आपका ब्रेकइवन 926 रु. होगा। स्टॉक इससे ऊपर गया तभी फायदा होगा।
ट्रेंड के साथ चलें, हमेशा जोखिम न लें : कॉल ऑप्शन थोड़े समय के ट्रेडिंग टूल होते हैं। इसलिए इसमें ट्रेंड के साथ चलें। बाजार की जो दिशा हो उसी के हिसाब से ट्रेड करें। गिरते बाजार में कॉल ऑप्शन खरीदने से बचें। ऑप्शन प्रीमियम खोने के लिए तैयार हैं तो जोखिम भी ले सकते हैं। लेकिन ऐसा नतीजों या दूसरी बड़ी घोषणाओं से पहले तभी करें जब आप पूरी तरह निश्चित हों। हमेशा यह जोखिम न लें।
छोटे स्टॉप लॉस रखें : कुछ लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि कॉल ऑप्शन में स्टॉप लॉस की क्या जरूरत है, क्योंकि इसमें नुकसान तो सिर्फ प्रीमियम का है? लेकिन अगर नुकसान कम किया जा सकता है तो पूरा प्रीमियम क्यों गंवाएं? आपने निफ्टी 10200 कॉल ऑप्शन 85 रु. में खरीदा। ट्रेंड इसके खिलाफ है तो 45 रु. पर नुकसान बुक कर लीजिए। प्रीमियम की वैल्यू शून्य होने का इंतजार क्यों?
एक्सपायरी का इंतजार न करें : रिलायंस का 920 रु. का कॉल 21 रु. प्रीमियम में खरीदा। एक्सपायरी के दिन स्टॉक की कीमत 965 रु. हो गई लेकिन कॉल ऑप्शन 43 रु. डिस्काउंट पर चला गया। अगर 43 रुपए पर सौदा काटते हैं तो प्रीमियम राशि पर 0.05% सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स लगेगा। अगर इसे एक्सपायरी तक ले जाते हैं तो पूरे वैल्यू पर 0.125% टैक्स लगेगा।
कब स्टॉक ऑप्शन खरीदें और कब इंडेक्स ऑप्शन : प्राइवेट बैंकिंग को लेकर सकारात्मक हैं तो बैंक निफ्टी में कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं। आर्थिक आंकड़ों को लेकर पॉजिटिव हैं तो निफ्टी कॉल ऑप्शन ले सकते हैं। लेकिन एसबीआई में रेट बढ़ने की गुंजाइश दिखती है तो स्टॉक ऑप्शन बेहतर होगा। कम ट्रेडिंग वाले ऑप्शन से बचें। निफ्टी ऑप्शन या ज्यादा ट्रेडिंग वाले स्टॉक्स में दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन बहुत से मिडकैप शेयरों में अचानक ट्रेडिंग कम हो जाती है। इसमें नुकसान हो सकता है।
- ये लेखक के निजी विचार हैं। इनके आधार पर निवेश से नुकसान के लिए दैनिक भास्कर जिम्मेदार नहीं होगा।
Option ट्रेडिंग क्या है? | ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं
दोस्तों आप में से बहुत से लोग ट्रेडिंग करते होंगे और ट्रेडिंग कई तरह की होती है उन्ही में से एक होती है ऑप्शन ट्रेडिंग, लेकिन क्या आपको पता है कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है और ये कितने तरह की होती है अगर नही, तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी इनफार्मेशन देते हैं.
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Table of Contents
ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होता है (What is Option Trading in Hindi)
ऑप्शन ट्रेडिंग एस ऐसी ट्रेडिंग होती है जो किसी भी कस्टमर को किसी खास तारीख को एक खास कीमत के साथ किसी शेयर्स को खरीदने या बेचने का अधिकार देती है.
शुरुआत में ऑप्शन ट्रेडिंग करना थोड़ा कठिन होता है लेकिन वास्तविकता यह है कि ऑप्शन कुछ ऐसे होते हैं जिससे कोई भी आसानी से सीखकर कर सकता है भारत में ऑप्शन ट्रेनिंग सब से ज्यादा की जाती है क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग करने के बहुत सारे फायदे होते हैं
जब भी आप ऑप्शन खरीदते हैं तो आपके पास अंतर्निहित ऐसेट को ट्रेड करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है लेकिन आप इसके लिए बाध्य नहीं होते हैं यदि आप आप ऐसा करते है तो इससे ऑप्शन का यूज़ करना कहा जाता है आपसे ट्रेडिंग में आप किसी भी स्टॉक इंडेक्स सिक्योरिटी में थ्रेट कर सकते हैं
ऑप्शन ट्रेडिंग कितने तरह की होती है?
ऑप्शन ट्रेडिंग दो तरह की होती है-
कॉल ऑप्शन
कॉल ऑप्शन ऐसा ऑप्शन ट्रेडिंग होता है जिसमे आपको एक निश्चित समय में एक उचित मूल्य पर किसी भी स्टॉक को खरीदने का अधिकार देता है लेकिन इसका दायित्व नहीं देता है कॉल ऑप्शन में ऑप्शन खरीदने के लिए आपको एक उचित मूल्य देना होता है जिसे प्रीमियम कहा जाता है कॉल अफसर का यूज़ करने वाले आखिरी तारीख को समाप्ति तारीख भी कहते हैं
पुट ऑप्शन
पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन के ठीक विपरीत होता है इसमें किसी भी स्टॉक को खरीदने कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ का अधिकार होने की बजाय एक पुट ऑप्शन आपको एक उचित मूल्य पर स्टॉक बेचने का अधिकार देता है
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं
ऑप्शन ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग होती है जिससे आप कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ ऑनलाइन ब्रोकरेज खातों के द्वारा कर सकते हैं और ये आपको स्वतः निर्देशित ट्रेडिंग की अनुमति भी देता है ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करने के बाद आप स्टॉक ब्रोकर द्वारा दिए गए ट्रेंडिंग ऐप का यूज़ करके ऑप्शन में ट्रीट कर सकते हैं.
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें जानना जरूरी होता है-
स्टॉक सिंबल क्या होता है
लगता है कि एक स्टॉक कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी किसी भी स्टॉक की पहचान करने के लिए क्या यूज़ किया जाता है जैसे Nifty 16,000 CE.
समाप्ति तिथि क्या होती है
समाप्ति तिथि वह डेट होती है जिसपर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट समाप्त हो जाता है
स्ट्राइक मूल्य क्या होता है
जिसपर कस्टमर ऑप्शन का यूज़ करने में सक्षम होता है.
प्रीमियम क्या होता है
जब आप ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को खरीदते हैं तो उसमें लगने वाली लागत को प्रीमियम कहा जाता है.
ऑप्शन ट्रेडिंग के लाभ क्या है?
ऑप्शन ट्रेडिंग करने कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ के कुछ प्रमुख लाभ है-
- अन्य ट्रेडिंग ऑप्शन्स की कंपेयर मे, आप कम इन्वेस्टमेंट के साथ भी ट्रेड करने में सफल हो सकते हैं.
- ऑप्शन का यूज़ आप मार्केट की किसी भी कंडीशन में कर सकते हैं और ये किसी भी अन्य ट्रेडिंग में नहीं किया जा सकता है.
- ऑप्शन ट्रेडिंग करने वाले कस्टमर्स को ये फ्लेक्सिबिलिटी के साथ ही लिक्विडिटी भी प्रोवाइड कर सकता है.
- ऑप्शन्स का इस्तेमाल हेजिंग के लिए भी किया जाता है जिसके द्वारा आप अपने पोर्टफोलियों को मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं.
ऑप्शन ट्रेडिंग के नुकसान क्या होते हैं?
ऑप्शन ट्रेडिंग के कई नुकसान होते हैं-
- ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए इस स्टॉक का विश्लेषण करना इक्विटी स्टॉक से बिल्कुल अलग होता है जिसके लिए जरूरी है कि आप डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग की पूरी जानकारी लेने के बाद ही इसमें ट्रेड करें.
- इसमें आपको किसी भी स्टॉक मूल्य के मूवमेंट के बारे में कुछ कह कॉल ऑप्शन बेचने वाले का पे–ऑफ पाना मुश्किल होता है और अगर आपका अंदाजा गलत हो जाता है तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपको काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है.
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आज आपने क्या सीखा?
हमे उम्मीद है कि हमारा ये (option trading kya hai) आर्टिकल आपको काफी पसन्द आया होगा और आपके लिए काफी यूजफुल भी होगा क्युकी इसमे हमने आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से रिलेटेड पूरी जानकारी दी है.
हमारी ये (option trading kya hai) जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरुर बताइयेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगो के साथ भी जरुर शेयर कीजियेगा.
पुट ऑप्शन के विभिन्न पहलुओं को जानें
जबमंडीहाल के परिदृश्य के कारण अस्थिरता अधिक हैकोरोनावाइरस रहा है, निवेशकों को अपने स्टॉक विकल्प चुनते समय अपनी रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ सकता है। हालांकि वित्त बाजार में लंबी स्टॉक पोजीशन रखने या खरीदने से लंबी अवधि का मुनाफा मिल सकता है, विकल्प कुछ ऐसा है जो शेयरों की एक बड़ी मात्रा को नियंत्रित करने की आवश्यकता के बिना नियंत्रित कर सकता है।राजधानी उच्च जोखिम वाले स्टॉक में।
यह कहते हुए कि, प्रचलित रूप से, विकल्पों को दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है -बुलाना और विकल्प डालें। यह पोस्ट पुट ऑप्शन के तंत्र को समझने के बारे में है।
पुट ऑप्शन क्या है?
पुट ऑप्शन एक ऐसा अनुबंध है जो ट्रेडर को अधिकार देता है न किकर्तव्य एक की एक विशिष्ट राशि को कम बेचने या बेचने के लिएआधारभूत दी गई समय अवधि के भीतर एक निर्धारित मूल्य पर सुरक्षा।
यह पहले से निर्धारित मूल्य जिस पर व्यापारी अपना विकल्प बेच सकते हैं, स्ट्राइक मूल्य के रूप में जाना जाता है। पुट ऑप्शन आमतौर पर विभिन्न अंतर्निहित परिसंपत्तियों पर कारोबार किया जाता है, जिसमें मुद्राएं, स्टॉक, इंडेक्स,बांड, वायदा, और वस्तुओं।
पुट ऑप्शंस का कार्य
अंतर्निहित स्टॉक की कीमतों में कमी के साथ, एक पुट विकल्प अधिक मूल्यवान हो जाता है। इसके विपरीत, अंतर्निहित स्टॉक की कीमतों में वृद्धि के साथ एक पुट विकल्प अपना मूल्य खो देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब पुट ऑप्शंस का प्रयोग किया जाता है, तो वे परिसंपत्ति में एक छोटी स्थिति की पेशकश करते हैं और इसका उपयोग या तो नीचे की कीमत पर जुआ खेलने के लिए या हेजिंग के उद्देश्य से किया जाता है।
अक्सर, निवेशक एक जोखिम प्रबंधन रणनीति में पुट विकल्प का उपयोग करना पसंद करते हैं जिसे एक सुरक्षात्मक पुट कहा जाता है। इस विशिष्ट रणनीति का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है किबुनियादी संपत्तिका नुकसान स्ट्राइक प्राइस से आगे नहीं जाता है।
पुट विकल्प के प्रकार
पुट ऑप्शंस के दो प्रमुख प्रकार हैं, जैसे:
- अमेरिकन पुट ऑप्शंस
- यूरोपीय पुट विकल्प
ये प्रकार आम तौर पर इस बात पर आधारित होते हैं कि विकल्प कब व्यायाम कर सकते हैं। अमेरिकी विकल्प प्रकृति में लचीले हैं और अनुबंध समाप्त होने से पहले आपको व्यापार को व्यवस्थित करने की अनुमति देते हैं। इसके विपरीत, यूरोपीय विकल्पों का प्रयोग इसकी समाप्ति के उसी दिन किया जा सकता है।
पुट ऑप्शन कब खरीदें?
अक्सर, व्यापारी स्टॉक की गिरावट से प्राप्त लाभ को बढ़ाने के लिए पुट ऑप्शन खरीदते हैं। न्यूनतम अग्रिम लागत के लिए, व्यापारियों को स्टॉक की कीमतों से समाप्ति तक स्ट्राइक मूल्य से नीचे जाने से लाभ मिल सकता है।
पुट ऑप्शन खरीदकर, ट्रेडर आमतौर पर यह अनुमान लगाते हैं कि अनुबंध समाप्त होने से पहले स्टॉक की कीमत गिर जाएगी। प्रोटेक्टिव पुट ऑप्शन को खरीदना उपयोगी हो सकता हैबीमा घटते स्टॉक के खिलाफ टाइप करें। यदि यह स्टॉक की कीमत से नीचे चला जाता है, तो व्यापारियों को इससे पैसा कमाने को मिलता है।
पुट ऑप्शन क्यों बेचें?
ट्रेडिंग विकल्प व्यापारियों को पुट ऑप्शन को आसानी से खरीदने और बेचने की अनुमति देते हैं। इसलिए, जहां तक पुट ऑप्शन बेचने का सवाल है, तो इसके कई फायदे हैं। विक्रेताओं के लिए भुगतान खरीदारों के लिए ठीक विपरीत है।
विक्रेता यह अनुमान लगाते हैं कि स्टॉक या तो ऊपर उठेगा या बना रहेगासमतल हड़ताल मूल्य; इस प्रकार, पुट को और अधिक मूल्यवान बना देता है।
राइट पुट ऑप्शन का चुनाव
यदि आप पुट ऑप्शन खरीदने के लिए तैयार हैं, तो सही चुनाव करने के लिए निम्नलिखित बातों पर विचार किया जाना चाहिए:
व्यापार में सक्रिय होने तक की समय अवधि
यदि आप थोड़े समय के लिए सक्रिय होने की आशा कर रहे हैं, तो उस वस्तु की तलाश करें जिसमें इतना समय शेष हो। उदाहरण के लिए, यदि आप दो सप्ताह के लिए रह रहे हैं, तो उस स्टॉक को खरीदने का कोई मतलब नहीं है जिसमें छह महीने का समय शेष हो।
विकल्प खरीदने में आवंटित की जाने वाली राशि
पर आधारितजोखिम सहिष्णुता और खाता आकार, कुछ पुट विकल्प आपके लिए बहुत महंगे हो सकते हैं। ध्यान रखें कि आउट-ऑफ-द-मनी विकल्पों की तुलना में इन-द-मनी पुट विकल्प कीमत में अधिक होंगे। अनुबंध की समाप्ति से पहले जितना अधिक समय रहेगा, उसकी लागत उतनी ही अधिक होगी।
संक्षेप में
पुट ऑप्शन में शामिल जोखिम कारकों को जानने के लिए, यथासंभव सूचित रहना आवश्यक है। यदि आप नौसिखिए हैं, तो आप इसके बारे में विशेषज्ञों की सहायता ले सकते हैं, ताकि आप बेहतर निर्णय ले सकें।
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