निवेश के उद्देश्य से एक निवेशक के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्प क्या हैं उनकी मुख्य विशेषताओं को उजागर करें?

निवेश के उद्देश्य से एक निवेशक के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्प क्या हैं उनकी मुख्य विशेषताओं को उजागर करें?

इसे सुनेंरोकेंनिवेश प्रबंधन, निवेशकों के फायदे के लिए निवेश के विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रतिभूतियों (शेयर, बांड और अन्य प्रतिभूतियां) और परिसंपत्तियों (जैसे अचल संपत्ति) का पेशेवर प्रबंधन है।

निवेश फलन से क्या आशय है इसे निर्धारित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंनिवेश या विनियोग (investment) का सामान्य आशय ऐसे व्ययों से है जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लायें। निवेश आय का वह भाग है जो वास्तविक पूंजी निर्माण के लिये खर्च किया जाता है। इसमें नए पूंजीगत उपकरणों तथा मशीनों, नई इमारतों का निर्माण, स्टॉक में वृद्धि आदि को शामिल किया जाता है।

Who makes UTG products?

Leapers, Inc., established in Michigan, USA, is world famous for its UTG branded products for hunting and shooting sport enthusiasts. Its founder, David Ding (aka TaiLai Ding) started the business in his garage in 1992.

Who makes UTG rifle scopes?

UTG (Under the Gun) also manufactures adapters to convert from 11mm to Weaver and unique drooper mounts that help correct barrel droop, which can occur in air rifles and firearms.

Where are UTG scopes made?

The Leapers scopes are manufactured at their headquarters in Michigan, USA. The company has almost 20 years of experience and they set new standards for the entire optics market.

What is a Bug Buster scope?

The Bug Buster is a compact scope. As such, the scope tube sections where the scope rings attach are very short. So the rings have to move to where the scope needs them to be, because there isn’t a lot of extra scope tube on either side of each ring.

Leapers, Inc., established in Michigan, USA, is world famous for its UTG branded products for hunting and shooting sport enthusiasts. Its founder, David Ding (aka TaiLai Ding) started the business in his garage in 1992.

UTG (Under the Gun) also manufactures adapters to convert from 11mm to Weaver and unique drooper mounts that help correct barrel droop, which can occur in air rifles and firearms.

The Leapers scopes are manufactured at their headquarters in Michigan, USA. The company has almost 20 years of experience and they set new standards for the entire optics market.

The Bug Buster is a compact scope. As such, the scope tube sections where the scope rings attach are very short. So the rings have to move to where the scope needs them to be, because there isn’t a lot of extra scope tube on either side of each ring.

इसे सुनेंरोकेंनिवेश शैली संस्थानों द्वारा विभिन्न प्रकार की शैलियों के आधार पर कोष प्रबंधन किया जाता है। उदाहरण के लिए वृद्धि, मूल्य, बाजार तटस्थ, छोटा पूंजीकरण, सूचकांक, इत्यादि. इनमें से प्रत्येक दृष्टिकोण की अपनी विशिष्ट विशेषताएं, समर्थक और किसी विशेष वित्तीय परिवेश में अपनी विशिष्ट जोखिम विशेषताएं होती हैं।

निवेश फलन से क्या आशय है इससे निर्धारित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंनिवेश फलन से क्या आशय क्या है? निवेश शब्द का अर्थ है स्टॉक और शेयर, डिबेंचर, सरकारी बॉन्ड और इक्विटी की खरीद। कीन्स के अनुसार, यह केवल वित्तीय निवेश है, वास्तविक निवेश नहीं। इस प्रकार के निवेश से राष्ट्र की वास्तविक पूंजी के भंडार में वृद्धि होती है।

संविभाग निवेश से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंनिधि प्रबंधक (fund manager), संविभाग प्रबंधक के रूप में भी जाना जाता है, सुरक्षा के अंतर्गत आने वाले फंड्स का निवेश और व्यापार करता है, किसी लाभ या हानि का ध्यान रखते हुए किसी व्यक्तिगत निवेशक के लिए प्रक्रिया जारी करता है। वर्तमान में, विश्व भर में मुचुअल फंड्स का कुल मूल्य है $२६ खरब .

निवेश क्यों किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंनिवेश या विनियोग (investment) का सामान्य आशय ऐसे व्ययों से है जो उत्पादन क्षमता में वृद्धि लायें। यह तात्कालिक उपभोग व्यय या ऐसे व्ययों संबंधित नहीं है जो उत्पादन के दौरान समाप्त हो जाए। निवेश शब्द का कई मिलते जुलते अर्थों में अर्थशास्त्र, वित्त तथा व्यापार-प्रबन्धन आदि क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है।

निवेश से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंनिवेश अर्थात Investment का अर्थ होता है अपने पैसो को ऐसी जगह लगाना जिस से की हमे भविष्य में लगाए हुए पैसो से अधिक पैसे मिल सके। और हमे जितने पैसे अधिक मिलते हैं, उन्हें हम अपने निवेश पर प्राप्त लाभ (Return) कहते हैं।

भारत में एफडीआई की शुरुआत कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: फेमा, 1999 के तहत जारी की गई अधिसूचना के आधार पर विदेशी निवेश किया जा सकता है।

विनियोग का अर्थ क्या होता है PDF?

इसे सुनेंरोकेंउद्योगों की पूंजी एवं ऋणों में तथा सरकारी ऋणों में जनता द्वारा राशियां लगायी जाती हैं। जब व्यक्तियों, फर्मो, कम्पनियों एवं निगमों, आदि के पास आवश्यकता से अधिक धन होता है, तो वे सुरक्षा या लाभ या दोनों के लिए विनियोग करते हैं। वर्तमान काल में कुछ व्यक्ति केवल सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए ही विनियोग करते हैं।

निवेश की विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंधन या समय की हानि के बिना पूंजी की वापसी की निश्चितता के साथ निवेश की सुरक्षा की पहचान की जाती है। सुरक्षा एक और विशेषता है जो एक निवेशक निवेश से चाहता है। हर निवेशक को उम्मीद है कि परिपक्वता पर प्रारंभिक पूंजी बिना नुकसान और बिना देरी के वापस मिल जाएगी।

एफडीआई प्राप्त करने में भारत का कौन सा स्थान है?

इसे सुनेंरोकेंForeign Direct Investment 2020 में भारत में 64 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया और विदेशी निवेश के लिहाज से उसका दुनिया में पांचवां स्थान रहा। यह बात संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक रिपोर्ट से सामने आई है।

योगी सरकार की ये स्कीम दुनिया को बना रही अपना मुरीद, 77 हजार करोड़ से ज्यादा के इंवेस्टमेंट का मिला वादा

योगी सरकार लगातार दूसरे देशों को आकर्षित कर अपने यहां निवेश कराने की कोशिश में लगी है। इस बार उसे बड़ी सफलता मिली है। हजारों करोड़ के निवेश के लिए ये तीन विकसित देश तैयार हो गए हैं।

योगी सरकार की ये स्कीम दुनिया को बना रही अपना मुरीद, 77 हजार करोड़ से ज्यादा के इंवेस्टमेंट का मिला वादा - India TV Hindi

योगी सरकार के नेतृत्व में इस साल यूपी में कई सारे विकास कार्य हुए हैं। इसी कड़ी में सरकार का उद्देश्य विदेशों से यूपी में निवेश जुटाना है, जिसमें इस बार उसे बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। अलग-अलग देशों से 77 हजार करोड़े से अधिक के निवेश के प्रस्ताव मिले हैं।

इन देशों से मिले प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता ने कहा है कि प्रस्तावित वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले राज्य को जर्मनी, बेल्जियम और स्वीडन से 77,140 करोड़ रुपये मूल्य के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। गुप्ता हाल ही में लोक निर्माण विभाग मंत्री जितिन प्रसाद, अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल, सीमा-शुल्क आयुक्त सेंथिल पांडियान सी और एमएसएमई सचिव प्रांजल यादव के साथ इन देशों के नौ दिवसीय दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने विदेशी निवेशकों एवं वहां के अधिकारियों से मुलाकात की थी।

फरवरी 2023 के लिए हो रही तैयारी

उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस-23) 10-12 फरवरी 2023 को लखनऊ में आयोजित होने वाला है। बयान के मुताबिक, विदेश दौरे से लौटने के बाद गुप्ता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और उन्हें इन प्रमुख यूरोपीय देशों से मिले निवेश प्रस्तावों की जानकारी जानकारी दी। गुप्ता ने मुख्यमंत्री को सूचित किया कि तीन देशों के दौरे में कुल 77,140 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। ये प्रस्ताव रक्षा, फिल्म, चिकित्सा उपकरण, कचरा प्रबंधन और कपड़ा जैसे विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित हैं।

सरकार की कोशिश 10 लाख करोड़ के निवेश को जुटाना है

यूपीजीआईएस-23 को लेकर विश्व के अधिकांश बड़े देशों की ओर से सकारात्मक फीडबैक मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस इन्वेस्टर्स समिट से राज्य सरकार को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश​ मिलने की उम्मीद है। जेवर एयरपोर्ट आने से निवेशकों का रुझान और बढ़ गया है। ऐसे में आने वाले समय में दुनिया की कई बड़ी कंपनियां उत्तर प्रदेश की ओर रुख करेंगी और करोड़ों का निवेश करेंगी। राज्य में बड़ा निवेश आने से लाखों की संख्या में नई नौकरियां पैदा होंगी। ऐसे में आने वाले समय में यूपी देशभर के युवाओं के बड़े मौके देने वाला राज्य बनेगा। इससे यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त निवेश का उद्देश्य वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

Data Protection Bill: सरकार को अधिक नियंत्रण देने पर उठे सवाल, आईटीआई ने कहा- निवेश हो सकता है प्रभावित

प्रौद्योगिकी उद्योग निकाय आईटीआई ने आशंका जताई है कि निजी डेटा के संरक्षण के लिए प्रस्तावित विधेयक-2022 के तहत कंपनियों के लिए भारत में डेटा सेंटर और डेटा प्रोसेसिंग में निवेश करना मुश्किल हो सकता है।

राजीव चंद्रशेखर

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक-2022 का मसौदा तैयार किया है। मंत्रालय ने दो जनवरी 2023 तक इस पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। इस बीच, वैश्विक प्रौद्योगिकी उद्योग निकाय आईटीआई ने आशंका जताई है कि निजी डेटा के संरक्षण के लिए प्रस्तावित विधेयक-2022 के तहत कंपनियों के लिए भारत में डेटा केंद्रों और डेटा प्रोसेसिंग में निवेश करना मुश्किल हो सकता है।

दिग्गज टेक कंपनियों गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, ट्विटर और एपल का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय का कहना है कि यह विधेयक भारत सरकार को महत्वपूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इसमें सरकार के लिए कई तरह की छूट हैं, जिससे कंपनियों के लिए भारत में निवेश करना आसान नहीं होगा।

आईटीआई के मुताबिक, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण के लिए मसौदा विधेयक में सरकार द्वारा अधिसूचित डेटा न्यासियों को कई अनुपालनों से छूट दी गई है। इनमें डेटा संग्रह के उद्देश्य के बारे में व्यक्ति को सूचित करने से संबंधित प्रावधान, बच्चों के डेटा का संग्रह, सार्वजनिक व्यवस्था के आसपास निवेश का उद्देश्य जोखिम मूल्यांकन और डेटा ऑडिटर की नियुक्ति शामिल हैं।

भारत के बाहर डेटा संग्रह की अनुमति का समर्थन
इस विधेयक में सरकार द्वारा अधिसूचित डेटा न्यासी को 'व्यक्तिगत डेटा के बारे में सूचना का अधिकार' के तहत डेटा मालिकों के साथ डेटा प्रोसेसिंग का विवरण साझा करने से छूट देने का प्रस्ताव है। हालांकि, उद्योग निकाय ने भारत के बाहर डेटा संग्रह करने की अनुमति जैसे बिंदुओं पर विधेयक का समर्थन किया है।

वहीं, सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि सरकार को सिर्फ सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने, आपात स्थिति, महामारी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों जैसी विशेष परिस्थितियों में ही छूट होगी।

विस्तार

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक-2022 का मसौदा तैयार किया है। मंत्रालय ने दो जनवरी 2023 तक इस पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। इस बीच, वैश्विक प्रौद्योगिकी उद्योग निकाय आईटीआई ने आशंका जताई है कि निजी डेटा के संरक्षण के लिए प्रस्तावित विधेयक-2022 के तहत कंपनियों के लिए भारत में डेटा केंद्रों और डेटा प्रोसेसिंग में निवेश करना मुश्किल हो सकता है।

दिग्गज टेक कंपनियों गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, ट्विटर और एपल का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय का कहना है कि यह विधेयक भारत सरकार को महत्वपूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इसमें सरकार के लिए कई तरह की छूट हैं, जिससे कंपनियों के लिए भारत में निवेश करना आसान नहीं होगा।

आईटीआई निवेश का उद्देश्य के मुताबिक, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण के लिए मसौदा विधेयक में सरकार द्वारा अधिसूचित डेटा न्यासियों को कई अनुपालनों से छूट दी गई है। इनमें डेटा संग्रह के उद्देश्य के बारे में व्यक्ति को सूचित करने से संबंधित प्रावधान, बच्चों के डेटा का संग्रह, सार्वजनिक व्यवस्था के आसपास जोखिम मूल्यांकन और डेटा ऑडिटर की नियुक्ति शामिल हैं।

भारत के बाहर डेटा संग्रह की अनुमति का समर्थन
इस विधेयक में सरकार द्वारा अधिसूचित डेटा न्यासी को 'व्यक्तिगत डेटा के बारे में सूचना का अधिकार' के तहत डेटा मालिकों के साथ डेटा प्रोसेसिंग का विवरण साझा करने से छूट देने का प्रस्ताव है। हालांकि, उद्योग निकाय ने भारत के बाहर डेटा संग्रह करने की अनुमति जैसे बिंदुओं पर विधेयक का समर्थन किया है।


वहीं, सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि सरकार को सिर्फ सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने, आपात स्थिति, महामारी और राष्ट्रीय सुरक्षा से निवेश का उद्देश्य जुड़े मुद्दों जैसी विशेष परिस्थितियों में ही छूट होगी।

Investment: निवेश शुरू करने से पहले जान लीजिए ये 5 बातें, कभी नहीं होगा नुकसान!

वर्तमान में ज्यादातर लोगों के लिए निवेश करना आसान हो गया है. (फोटो: न्यूज18)

आजकल निवेश करना सभी के लिए काफ़ी आसान हो गया है. ऐसे में निवेश शुरू करने से पहले आपको कुछ मूलभूत बातें जान लेना जरूरी है . अधिक पढ़ें

  • News18 हिंदी
  • Last Updated : December 24, 2022, 11:10 IST

हाइलाइट्स

इन्वेस्ट करने के लिए किसी भी ऑप्शन को चुनने से पहले उससे मिलने वाले रिटर्न को देखा जाता है.
इंडिविजुअल निवेशकों के लिए 50:30:20 के नियम से निवेश करना बेहतर माना जाता है.
आप निवेश के लिए जिस विकल्प को चुनते हैं उसकी लिक्विडिटी बहुत मायने रखती है.

नई दिल्ली. पिछले कुछ समय में निवेश को लेकर लोगों का दृष्टिकोण काफी बदला है. पहले जहां ये सिर्फ शहरों में रहने वाले कामकाजी पेशेवरों और इसकी समझ रखने वाले लोगों तक ही सीमित निवेश का उद्देश्य था. वहीं, वर्तमान में ज्यादातर लोगों के लिए यह आसान हो गया है. इसकी एक वजह एक बड़े तबके के पास स्मार्टफोन और सस्ते इंटरनेट का उपलब्ध होना है.

अब आपके पास निवेश के हजारों ऑप्शंस मौजूद हैं जो खुद को एक-दूसरे से बढ़ाकर पेश करते हैं. ऐसे में निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए किसी एक को चुनना भी समस्या बन गई है. हालांकि, इसमें लगभग सभी जगह मूल बातें एक जैसी रहती है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे पॉइंट्स ऐसे हैं जिन्हें हमें ध्यान में रखने की जरूरत है. यहां हम ऐसे 5 बिंदुओं पर बात करेंगे.

निवेश पर कितना मिलेगा रिटर्न?
भारत में पिछले 40 वर्षों की अवधि में कीमतें औसतन 7 फीसदी की दर से बढ़ी हैं. इसका मतलब यह है कि आप जहां कहीं भी इन्वेस्ट करें आपका रिटर्न 7 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए. इन्वेस्ट करने के लिए किसी भी ऑप्शन को चुनने से पहले उससे मिलने वाले रिटर्न को देखा जाता है. हमारे देश में ज्यादातर लोगों के लिए सरकारी बॉन्ड और एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट हमेशा से पसंदीदा विकल्प रहे हैं. इसका कारण यह है कि इन्हें काफ़ी सुरक्षित माना जाता है और रिटर्न भी निश्चित होता है. वहीं जिन लोगों को थोड़ा जोखिम उठाने में झिझक नहीं होती उनके लिए शेयर मार्केट भी अच्छा ऑप्शन है क्योंकि यही आपको ज्यादा रिटर्न दिला सकता है.

निवेश की अवधि
आप जब भी कहीं निवेश करते हैं तो उससे पहले ही लक्ष्य तय कर लेना चाहिए. लक्ष्य-आधारित योजना को व्यक्तिगत निवेश की आधारशिला माना जाता है. लंबी अवधि के लक्ष्य, विशेष रूप से यदि आप जल्दी शुरू कर रहे हैं, तो आप ऊपर की ओर बढ़ने के उद्देश्य से अधिक जोखिम लेने की अनुमति देते हैं. इसका मतलब है कि आपके पोर्टफोलियो में ऋण की तुलना में अधिक इक्विटी होगी. जब जोखिम भरे दांव की बात आती है तो मध्यम अवधि के लक्ष्य अधिक संतुलित हो सकते हैं. जबकि कम अवधि के लक्ष्यों के लिए जरूरी है कि आप सुरक्षित तरीके से निवेश करें.

निवेश पर लगने वाला टैक्स
एक निवेशक के रूप में टैक्स मैनेजमेंट एक बेहद जटिल मुद्दा है और यही कारण है कि जो लोग शौक से निवेश करते हैं उन्हें एक अनुभवी चार्टर्ड एकाउंटेंट के साथ काम करने की सलाह दी जाती है. वहीं कुछ लोग निवेश के लिए ऐसे विकल्पों की तलाश करते हैं जो टैक्स फ्री होते हैं. हालांकि ये आम तौर पर पेंशन योजनाओं, बीमा और सरकार द्वारा प्रायोजित बचत योजनाओं तक ही सीमित होते हैं. यदि आप म्युचुअल फंड और स्टॉक आदि में निवेश करते हैं तो आपके लिए यह समझना आसान होता है कि टैक्स के लिए कानून कैसे पहचान करता है और इससे टैक्स में फायदा उठा सकते हैं.


इंडिविजुअल निवेशकों के लिए 50:30:20 के नियम से निवेश करना बेहतर माना जाता है. इसका मतलब यह है कि आप अपनी आय का 50 फीसदी जरूरतों पर, 30 फीसदी इच्छाओं पर और 20 फीसदी निवेश पर खर्च करते हैं. यदि आप निवेश करने के लिए नए हैं तो आपके लिए उस अधिकतम राशि को कैप करना सबसे अच्छा होता है जिसे आप अपनी कुल आय के 20 फीसदी तक निवेश करना चाहते हैं. इससे बाजार में मंदी की स्थिति में आपकी पूरी बचत खत्म हो सकती है.

निवेश की लिक्विडिटी
हमेशा इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि हमें पैसों की जरूरत कभी भी पड़ सकती है. ऐसे में आप निवेश के लिए जिस विकल्प को चुनते हैं उसकी लिक्विडिटी बहुत मायने रखती है क्योंकि जरूरत पड़ने पर अगर काम नहीं आए तो उस पैसे का कोई मतलब नहीं रह जाता है. छोटी अवधि के निवेश आम तौर पर ज्यादा लचीले होते हैं और निवेश के लिए बेहतर विकल्प होते हैं. आवर्ती जमा यानी आरडी और लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड ऐसे कुछ उदाहरण हैं जहाँ पैसा लगभग तुरंत निकाला जा सकता है.

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