करंट लो ग्रोथ आरबीआई को जल्द इंटरेस्ट रेट में कटौती करने को मजबूर कर सकता है। अगर अमेरिकी फिस्कल क्लिफ से ग्लोबल झटका लगता है तो कमोडिटी के प्राइसेज नीचे आएंगे। इससे आरबीआई के लिए रेट कट करना आसान हो जाएगा। इससे कंजम्पशन और इन्वेस्टमेंट डिमांड बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे मार्केट काफी ऊंचे लेवल पर जा सकता है। यह बैंकिंग और ऑटो जैसे रेट-सेंसिटिव सेक्टरों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

सितंबर तिमाही में DII की होल्डिंग 3 साल के हाई पर, जानिए क्या रहा FII का रुझान

सितंबर तिमाही में बीएसई500 इंडेक्स में शामिल कंपनियों में घरेलू संस्थागत निवेशको (DII)की होल्डिंग पिछले 12 महीनों के हाई पर रही है।

DII holdings at 3-year high in Stock Markets- सितंबर तिमाही में बीएसई500 इंडेक्स में शामिल कंपनियों में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII)की होल्डिंग पिछले 12 महीनों के हाई पर रही है। यह भारतीय बाजार में रिटेल निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है। इसी अवधि में इन कंपनियों में प्रमोटरों को होल्डिंग पिछले 3 तिमाहियों के निम्नतम स्तर पर रही। वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी में पिछली तिमाही की तुलना में थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है। बीएसई 500 में शामिल 391 कंपनियों के शेयर होल्डिंग पैटर्न के विश्लेषण से पता चलता है कि इन कंपनियों में डीआईआई की होल्डिंग सितंबर तिमाही में 11.14 फीसदी थी। जो कि सितंबर 2019 के बाद का सबसे बड़ा आकंड़ा है।

शेयर खरीदने के बाद क्या करे?

एक बार share खरीदने के बाद वे शेयर्स आपके demat account में रख जाते है. अब आप कंपनी के हिस्सेदार बन चुके है कंपनी के हिस्सेदार होने की वजह से आपको stock split, rights issue, bonuse, dividend आदि कंपनी की तरफ से सुविधाएं प्राप्त होती रहंगी. इनके बारे में भी बाद में चर्चा करेंगे.

बहुत से लोग इसे नहीं जानते है की share holding period क्या है? इसका मतलब ये होता है की जब भी हम शेयर खरीदते है और उन शेयर को जल्दी बेचने की बजाय अपने पास लम्बे समय तक रखते है. इसके बारे में वोरन बफेट ने कहा – Holding period 1 मिनट से लेकर महेसा के लिए भी हो सकता है. मतलब की उन shares को हमेशा के लिए भी रख सकते है.

उदहारण-

यदि इनफ़ोसिस का शेयर 1700 रूपए का है और वह 5,10 मिनुट्स में 1720 हो गया हो तो ये इतने कम समय में अच्छा return है और यदि आप इतने मुनाफे से खुस है तो आप इस सौदे को बंद करके मार्किट से निकल भी सकते है. ऐसा होना संभव है क्योकि मार्किट में तेजी होने पर इस तरह के मौके आते रहते है.Share Holding Period Kya Hai

रिटर्न कैसे देखे?

मार्किट में सभी चीजें खास है हम पता करते है की आपको अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल रहा है या नहीं. अगर आप अपने सौदे में अच्छी कमाई कर रहे हैं या फिर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं तो आप की सभी पुरानी गलतियां माफ की जाती हैं क्योंकि शेयर मार्किट में रिटर्न पाना ही सबसे महत्वपूर्ण है.

ज्यादातर रिटर्न को साल भर में ही देखा जाता है, रिटर्न नापने के कई तरीके हैं जिनके बारे में जानना बेहद जरुरी है. निचे कुछ तरीके बताएँगे, जिससे आप रिटर्न नाप सकते है और साथ ही कैलकुलेट करना भी सीख जायेंगे.

ऐब्सल्यूट रिटर्न ( Absolute Return ) –

आपक इस absolute return से पता चलेगा की अपने सौदे या निवेश पर कुल कितना मुनाफा कमाया है. आपको यह हिस्सा इस सवाल का जवाब देता है कि मैंने अगर इंफोसिस 1700 रूपए की कीमत पर खरीदा और 1750 रूपए की कीमत पर बेचा है तो मैंने कुल कितने प्रतिशत पैसे इस सौदे में कमाए है. इस रिटर्न को मापने का सरल फार्मूला ये है :

यह शेयर होल्डिंग अवधि काफी अच्छा रिटर्न है.

कम्पॉउंड ऐनुअल ग्रोथ रेट यानी सीएजीआर ( Compound Annual Growth Rate -CAGR ) –

अगर आप अपने 2 इन्वेस्टरस की तुलना करना चाहते हैं तो कुल रिटर्न यानी ऐब्सल्यूट रिटर्न ज्यादा अच्छा मापक नहीं है. इसके लिए तो आपको CAGR की मदद लेना काफी ठीक होगा. यदि मैं इंफोसिस का शेयर 1700 की कीमत में खरीदा और उस शेयर को 2 साल तक अपने पास (holding period) रखा

और इसके बाद 1750 रूपए में बेच दिया तो इन 2 सालों में मेरे share की कीमत कितनी रफ़्तार से बढ़ी. ये जानने के लिए CAGR काम आएगा. जब रिटर्न ऐब्सल्यूट रिटर्न में इसकी कोई भूमिका नहीं होती है. CAGR को पता करने का फार्मूला है-

यहाँ Ending Value= बेचने बाली कीमत

Begining Value खरीदने वाली कीमत

अब फार्मूले को सवाल में डालें तो –

इसका मतलब है निवेश 1.46% की रफ्तार से दो साल तक बढ़ा. हम सब को पता है कि इस समय देश में कई जगहों पर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर 1.46% तक का रिटर्न मिल रहा है और वहाँ पर रकम भी सुरक्षित रहती है. ऐसे में 1.46% का रिटर्न आकर्षक नहीं लगेगा.

जानिए Investors के लिए Holding क्या होती है और क्या होता है इसका असर, देखें यह वीडियो

Stock Market में शेयर्स खरीदने और बेचने के अलावा एक और महत्वपूर्ण पहलू है जिसको हम Holding कहते हैं। शेयर्स को होल्ड करने वाले Investors सही समय का इंतजार करते हैं और फिर तय करते हैं कि कौन सा शेयर बेचें या खरीदें। जब शेयर्स को खरीदने के बाद लंबे समय के लिए अपने पास रखते हैं तो शेयर होल्डिंग अवधि उसे शेयर को होल्ड करना कहते है। शेयर को लंबे समय तक होल्ड करने से रिस्क फैक्टर कम होता है और रिटर्न मिलने की संभावना अधिक होती है। साथ ही Investor को Trading और Investing एक ही जैसे लगती है लेकिन ऐसा नहीं है। Trading में आप Short Term के लिए हाई-रिस्क पर शेयर्स में पैसे लगाते हैं और उन्ही से मुनाफा कमाते हैं। वहीं Investing करने वाले लोग शेयर्स को खरीद कर लंबी अवधि तक होल्ड करते हैं और सही समय देखकर शेयर्स को बेचना चाहिए या और इंतजार करना चाहिए।

किसी संपत्ति की ‘होल्डिंग अवधि’ क्या है?

निवेशक हमेशा रिटर्न और उपज पर विचार करते हैं, किसी भी उपकरण में निवेश करने से पहले। हालांकि, एक और बात है जिसका समान महत्व है, जब वित्तीय निर्णय लेने की बात शेयर होल्डिंग अवधि आती है। इसे धारण काल ​​कहा जाता है। आम तौर पर, निवेशक अपनी निवेश योजनाओं को होल्डिंग पीरियड के अनुसार स्ट्रेटेजिक करते हैं। एक निवेशक, जिसे शेयर होल्डिंग अवधि एक या दो साल में पैसे की जरूरत होती है, उसे अलग-अलग तरह से रणनीति बनानी होगी, क्योंकि किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में जो अपने निवेश के लिए एक दशक तक इंतजार कर सकता है। यहां, होल्डिंग अवधि खेलती हैएक बड़ी भूमिका।

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इन्वेस्टर्स के लिए स्टॉक होल्डिंग बढ़ाने का सही वक्त

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इसके अलावा, हाल में सरकार ने रीटेल और इंश्योरेंस में एफडीआई और पावर सेक्टर में रिफॉर्म्स के ऐलान किए हैं, जिससे रिवाइवल को मजबूती मिलेगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार पार्लियामेंट के करंट सेशन में रिफॉर्म्स बिलों को पास करा पाएगी। निर्मल बांग सिक्युरिटीज के प्रिंसिपल ऐंड हेड (पीसीजी) मेहराबून ईरानी ने कहा, 'अगर रिफॉर्म्स के हालिया ऐलान को लागू करने के ठोस उपाय किए जाते हैं तो सालभर में मार्केट काफी ऊंचे लेवल पर होगा।'

ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने इंडिया की सॉवरेन रेटिंग घटाकर बीबीबी प्लस से नीचे करने की वॉर्निंग दी है, जिससे सरकार रिफॉर्म्स को आगे बढ़ाने पर मजबूर हो सकती है। हालांकि, अगला बजट आम चुनावों से पहले अंतिम बजट होगा, जिससे लोकलुभावन उपायों से रिफॉर्म्स के उपायों का फायदा नहीं मिलेगा।

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