स्लिपेज ऑन क्या है?
लिमिट आर्डर एक तरह का आर्डर है जिस में कॉन्ट्रैक्ट को एक विशेष मूल्य पर खरीदते या बेचने का आर्डर प्लेस करते है। जब आप खरीद रहे हैं, तो आप अपने ब्रोकर को विशेष मूल्य से अधिक नहीं जाने का आर्डर देते हैं। और जब आप बेच रहे हैं तो आप अपने ब्रोकर को अपने विशेष मूल्य से नीचे न बेचने का आर्डर देते है।
लिमिट आर्डर प्लेस करने का यह फायदा है कि आप अपनी इक्छा अनुसार मूल्य पर ऑर्डर को खरीदने / बेचने का प्लेस कर सकते हैं। हालाँकि, हो सकता हो कि आपका ऑर्डर नहीं भरा गया हो क्योंकि आपके द्वारा विशेष मूल्य पर एक्सचेंज में काउंटर ऑर्डर नहीं होना चाहिए।
- जब खरीदने का लिमिट आर्डर को प्लेस करते हैं, तो एंटर की गई लिमिट मूल्य करंट मार्किट मूल्य से कम होनी चाहिए।
- जब बेचने का लिमिट आर्डर को प्लेस करते है, तो एंटर की गई लिमिट मूल्य करंट मार्किट मूल्य से ऊपर होनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए, अगर CMP 100 की है, तो खरीदने का लिमिट आर्डर को 100 (95,99 आदि) से नीचे रखना चाहिए, और बेचने का लिमिट आर्डर को 100 (101,108 आदि) से ऊपर रखाना चाहिए।
अगर ऊपर बताये हुए नियम का पालन नहीं किया जाता है, तो लिमिट आर्डर मार्किट आर्डर के तरह एक्सेक्यूट हो जाएगा।
मार्किट आर्डर एक तरह का आर्डर है जिस में कॉन्ट्रैक्ट को एक मार्किट मूल्य पर खरीदते या बेचने का आर्डर प्लेस करते है। आर्डर को प्लेस करते समय मूल्य को बताना नहीं पड़ता है।
खरीदने का मार्किट आर्डर उस मूल्य पर एक्सेक्यूट किया जाता है जिस पर स्लिपेज ऑन क्या है? बेचनेवाला बेचने के लिए तैयार होता है और बेचने का मार्किट आर्डर उस मूल्य पर एक्सेक्यूट होता है जिस पर खरीदार खरीदने के लिए तैयार होता है।
मार्केट ऑर्डर का फायदा यह है कि ऑर्डर निश्चित रूप से मार्किट जो भी रेट चल रहा है उस पर एक्सेक्यूट हो जाएगा, हालांकि, ट्रेडर थोड़ा घाटा कर सकता है या थोड़ी कम कीमत पर बेच सकता है। (यानी स्लिपेज)
Slipage Ratio: स्लिपेज रेशियो क्या है? रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़ने के बावजूद क्यों बैंकों की वित्तीय रिपोर्ट हो सकती है कमजोर
Slipage Ratio: बैंक मैनेजमेंट और बैंकिंग नियामक के अलावा रेटिंग एजेंसियां बैंक को रेटिंग देने के लिए स्लिपेज रेशियो को महत्व देती हैं.
आमतौर पर कई निवेशक देखते हैं कि बैंक के शुद्ध मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है और ब्याज आय में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म कहते स्लिपेज ऑन क्या है? हैं कि रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा.
Slipage Ratio: बैंकों के तिमाही नतीजों पर निवेशकों की निगाहें रहती हैं क्योंकि इसके आधार पर ही अपने निवेश को लेकर वे फैसला लेते हैं. आमतौर पर कई निवेशक देखते हैं कि बैंक के शुद्ध मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है और ब्याज आय में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म कहते हैं कि रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा. ऐसा स्लिपेज ऑन क्या है? Slipage Ratio के चलते होता है. हाल ही में जून 2021 तिमाही के रिजल्ट का एक्सिस बैंक ने ऐलान किया था जिसके मुताबिक सालाना आधार पर उसके मुनाफे में 94 फीसदी और ब्याज आय में 11 फीसदी की उछाल दर्ज की गई थी. इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक स्लिपेज बढ़ने के चलते नतीजे अनुमान से कम रहे. हालांकि ब्रोकरेज फर्मो नें इसे खरीदने की रेटिंग दी हुई है. स्लिपेज रेशियो वह दर है जिस पर गुड लोन बैड में बदल रहे हैं. किसी वित्त वर्ष में बैंक का एनपीए जिस दर से बढ़ता है, वह स्लिपेज है. बैंक मैनेजमेंट और बैंकिंग नियामक के अलावा रेटिंग एजेंसियां भी बैंक को रेटिंग देने के लिए स्लिपेज रेशियो को महत्व देती हैं.
Slipage Ratio को ऐसे समझें
मान लीजिए कि किसी बैंक का ग्रॉस एनपीए पिछले वित्त वर्ष में 12 फीसदी था और बैड लोन बढ़ने के चलते इस वित्त वर्ष में यह बढ़कर 15 फीसदी हो गया तो इसे 3 फीसदी का स्लिपेज कहेंगे. स्लिपेज में तेज बढ़ोतरी का प्रोविजनिंग और नेट प्रॉफिट पर गहरा असर होता है.
एसेट क्वालिटी में कम स्लिपेज या कोई स्लिपेज न होना यह दर्शाता है कि बैंक ने कितने बेहतर तरीके से एसेट क्वालिटी को मैनेज किया है. जब एसेट क्लालिटी बढ़ती है तो लिक्विडिटी, रिस्क लेने की क्षमता और फंड की कम लागत जैसे फायदे भी होते हैं.
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इस तरह होता है आकलन
- स्लिपेज रेशियो गुड लोन के बैड होने की दर है. गुड लोन का मतलब होता है कि उसकी किश्त समय पर मिलती है लेकिन बैड लोन को लेकर बैंक को आय की उम्मीद कम रहती है या नहीं रहती है. अधिकतर मामलों में 90 दिनों तक अगर किसी लोन की किश्त नहीं मिलती तो बैंक उसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट की श्रेणी में रख देते हैं.
- स्लिपेज रेशियो के कैलकुलेशन के लिए वर्तमान वर्ष में एनपीए कितना बढ़ा और वर्ष की शुरुआत में स्टैंडर्ड एसेट्स कितना था, इसके अनुपात को 100 से गुणा किया जाता है.
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फार्मट्रैक 60 EPI T20
फार्मट्रैक 60 EPI T20 50 एचपी ट्रैक्टर है जो ₹ 7.20-7.50 लाख* की कीमत पर उपलब्ध है। इसमें 60 लीटर की ईंधन टैंक क्षमता है। इस ट्रैक्टर की इंजन क्षमता 3443 सीसी है जिसमें 3 सिलेंडर हैं। इसके अलावा, यह 16 फॉरवर्ड + 4 रिवर्स (T20) गियर के साथ उपलब्ध है और 42.5 पीटीओ एचपी का उत्पादन करता है। और फार्मट्रैक 60 EPI T20 की लिफ्टिंग क्षमता 1800 kg है।
From: 7.20-7.50 Lac*
*Ex-showroom Price in
ब्रांड
सिलेंडर की संख्या
एचपी कैटेगिरी
पीटीओ एचपी
गियर बॉक्स
16 फॉरवर्ड + 4 रिवर्स (T20)
ब्रेक
आयल इम्मरसेड ब्रेक
5000 Hour or 5 साल
मूल्य
From: 7.20-7.50 Lac*
फार्मट्रैक 60 EPI T20 अन्य फीचर्स
वजन उठाने की क्षमता
इंजन रेटेड आरपीएम
फार्मट्रैक 60 EPI T20 के बारे में
वेलकम बायर्स, यह पोस्ट एस्कॉर्ट्स ट्रैक्टर मैन्युफैक्चर्ड द्वारा निर्मित फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 ट्रैक्टर के बारे में है। इसमें एक शानदार डिजाइन है, जो आधुनिक फीचर्स से लैस है। फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 एक शक्तिशाली और अत्यधिक विश्वसनीय ट्रैक्टर है। इस पोस्ट में ट्रैक्टर के बारे में ऑथेंटिक और डिटेल जानकारी जैसे फार्मट्रैक 60 टी20 की भारत में कीमत, टॉप फीचर, इंजन स्पेसिफिकेशन्स आदि शामिल है।
फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 ट्रैक्टर इंजन कैपेसिटी
फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 नया मॉडल 2डब्ल्यूडी में 50 एचपी ट्रैक्टर है। फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 असाधारण,3443 सीसी इंजन क्षमता के साथ आता है, और इसमें 1850 इंजन रेटेड आरपीएम जेनरेट करने वाले 3 सिलेंडर हैं। यह 42.5 पीटीओ एचपी प्रदान करता है जो अन्य उपकरणों को पॉवर देता है।
फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 के टॉप फीचर्स
- फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 नए मॉडल ट्रैक्टर में सिंगल/डुअल-क्लच है, स्लिपेज ऑन क्या है? जो स्मूथ और इजी फंक्शनिंग प्रोवाइट करता है।
- ट्रैक्टर 16 फॉरवर्ड और 4 रिवर्स गियर के साथ फुल्ली कॉन्स्टेंट मेश गियरबॉक्स से लैस है जो कई ऑप्शन प्रदान करता है।
- फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 ट्रैक्टर मॉडल अधिकतम 31.0 किमी/घंटा फॉरवर्ड स्पीड और 14.6 किमी/घंटा रिवर्स स्पीड प्राप्त कर सकता है।
- फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 स्टीयरिंग टाइप बैलेंस्ड टाइप की पावर/मैकेनिकल स्टीयरिंग है, जो इसे अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और ट्रैक्टर को नियंत्रित करना आसान बनाता है।
- ट्रैक्टर में तेल में डूबे हुए ब्रेक होते हैं जो हाई ग्रिप और कम स्लिपेज प्रदान करते हैं। वे बहुत अधिक गर्म नहीं होते हैं और उनका जीवन लंबा होता है।
- ट्रैक्टर में लिफ्टिंग और लोडिंग के लिए 1800 किलोग्राम की हाइड्रोलिक लिफ्टिंग क्षमता है।
- लंबे समय तक काम करने के लिए ट्रैक्टर में 60 लीटर का फ्यूल टैंक फिट किया गया है।
- फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 का माइलेज हर क्षेत्र में बहुत किफायती है।
- ये ऑप्शन इसे कल्टीवेटर, रोटावेटर, प्लाऊ, प्लांटर और अन्य सहित उपकरणों के लिए बेहतर बनाते हैं।
फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 आपके लिए सबसे अच्छा कैसे है?
- फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 सबसे कम ईआरपीएम रेटेड एक एडवांस ईंधन इंजेक्शन इंजन द्वारा संचालित है। यह उच्चतम पावर का उत्पादन कर सकता है और इसे वास्तव में फ्यूल एफिसिएंट ट्रैक्टर बनाता है।
- फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी 20 मॉडर्न टेक्नोलॉजी फीचर्स और मजबूत निर्माण से लैस है, जो इसे बहुत उपयोगी बनाता है।
- यह एक बहुमुखी ट्रैक्टर है, आसानी से कोई भी कृषि कार्य कर सकता है।
- इसमें डीलक्स सीट और पर्याप्त स्पेस है जो ड्राइवर को अधिक आराम देती है।
- यह ट्रैक्टर आमतौर पर गेहूं, चावल, गन्ना और अन्य फसलों में काम आता है।
- फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 पहला ट्रैक्टर है जो 20-स्पीड गियरबॉक्स के साथ आता है। यह उत्पादकता में 30% तक की वृद्धि के लिए विभिन्न मिट्टी की स्थितियों में आसानी से काम करता है।
फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 की कीमत :
वर्तमान में, भारत में फार्मट्रैक 60 टी20 की कीमत 7.20 लाख* से 7.50 लाख*(एक्स-शोरूम कीमत) रुपए है। फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 ट्रैक्टर की कीमत बहुत अफोर्डेबल है, किसान के बजट में आसानी से फिट हो जाती है। इसकी कीमत और प्रदर्शन को देखते हुए यह सबसे अच्छा ऑप्शन है।
इस ट्रैक्टर की कीमत कई घटकों जैसे बीमा राशि, स्लिपेज ऑन क्या है? रोड टैक्स, आरटीओ रजिस्ट्रेशन आदि के आधार पर कम-ज्यादा हो सकती है। ये सभी घटक ट्रैक्टर की कीमत में वृद्धि करते हैं। ट्रैक्टर की कीमत भी स्टेट वाइस बदलती है।
तो आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं? फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी 20 के माइलेज और वारंटी के बारे में अधिक जानने के लिए हमें अभी कॉल करें। यहां आप राजस्थान में फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 की कीमत भी प्राप्त कर सकते हैं। ट्रैक्टर जंक्शन पर आपको अपना पसंदीदा ट्रैक्टर खरीदने के लिए शानदार डील मिल सकती है।
मुझे आशा है कि आपको फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 कीमत, फार्मट्रैक 60 ईपीआई टी20 स्पेसिफिकेशन्स के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी।
महामारी से इनकम गिरी तो NPA हो गए गोल्ड लोन अकाउंट, जानें क्या कहते हैं निजी बैंक
Gold: गोल्ड की अस्थिर कीमतों के बीच महामारी की दूसरी लहर ने प्राइवेट बैंकों के गोल्ड लोन पोर्टफोलियो को प्रभावित किया है
- Anto T Joseph
- Publish Date - July 27, 2021 / 05:16 PM IST
ये लोन अधिक आसान भुगतान शर्तों के साथ भी आते हैं. लोन लेने वालों के पास समान मासिक किश्तों में भुगतान करने या एकमुश्त भुगतान करने का विकल्प होता है.
Gold Loan: महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर घरेलू आय में अचानक हुई गिरावट के कारण निजी बैंकों द्वारा दिए गए गोल्ड लोन में अधिक डिफॉल्ट हुए हैं. ICICI बैंक, HDFC बैंक, फेडरल बैंक और CSB बैंक जैसे लीडिंग प्राइवेट बैंकों ने पहली तिमाही की आय की रिपोर्ट में खास तौर से गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में अपने रिटेल लोन में हाई स्ट्रेस रिपोर्ट किया है. यह 2021-22 की पहली तिमाही में अधिकांश बैंकों के अच्छे मुनाफे की रिपोर्ट के बावजूद है. जून में समाप्त तिमाही के लिए बैंक का गोल्ड लोन स्लिपेज 50 करोड़ रुपये था, जो पोर्टफोलियो का लगभग 0.3% था. इसने तिमाही में 200 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन रीस्ट्रक्चर भी किया.
गोल्ड लोन स्लिपेज
कई बैंक अपने रिटेल कस्टमर को – जिन्होंने अपने सोने के गहनों को क्विक फंडिंग के लिए गिरवी रखा था उन पर एक सीमा से अधिक लोन चुकाने के लिए दबाव नहीं डालना चाहते थे.
फेडरल बैंक के MD & CEO, श्याम श्रीनिवासन ने कहा “लॉकडाउन और ग्राहकों के सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए, हम ग्राहकों को भुगतान करने के लिए पुश नहीं स्लिपेज ऑन क्या है? करना चाहते थे. इसलिए, यदि वो पेमेंट नहीं कर सके, तो वे या तो रीस्ट्रक्चर हो गए या NPA बन गए”
200 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन रीस्ट्रक्चर
जून में समाप्त तिमाही के लिए बैंक का गोल्ड लोन स्लिपेज 50 करोड़ रुपये था, जो पोर्टफोलियो का लगभग 0.3% था. इसने तिमाही में 200 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन रीस्ट्रक्चर भी किया.
ICICI बैंक ने पहली तिमाही में 7,200 करोड़ रुपये की गिरावट देखी, जिसमें रिटेल सेगमेंट 6,700 करोड़ रुपये का था. एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर संदीप बत्रा ने कहा, ‘इनमें से 1,130 करोड़ रुपये ज्वैलरी लोन से आए. उन्होंने कहा कि ज्वेलरी लोन पूरी तरह सुरक्षित हैं.
हालांकि, सोना एक सेफ कॉलेटरल होने के कारण, बैंक इस स्लिपेज (गिरावट) को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं. CSB बैंक, जो गोल्ड लोन को एक महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो के रूप में गिनता है, ने भी गोल्ड लोन में तनाव में वृद्धि देखी. पहली तिमाही के दौरान कुल 423 करोड़ रुपये की गिरावट में, गोल्ड लोन 337 करोड़ रुपये रहा.
सेंट्रल बैंक द्वारा 90% से 75% के लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो होने के बाद बैंक ने गोल्ड लोन बुक में स्लिपेज ऑन क्या है? खराब लोन में वृद्धि को देखते हुए अपनी गोल्ड लोन पॉलिसी को बदल दिया था. बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वो महामारी के मद्देनजर ग्राहकों पर दबाव नहीं बनाना चाहते थे, इसके बावजूद कलेक्शन 20% तक गिर गया था.
गोल्ड लोन में पॉजिटिव ग्रोथ
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जुलाई बुलेटिन के अनुसार, 2021-22 के पहले दो महीनों में गोल्ड की ज्वेलरी पर लोन में पॉजिटिव ग्रोथ रिपोर्ट की गई थी, जबकि बैंकों के पर्सनल लोन में मामूली गिरावट दर्ज की गई थी.
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 21 मई को गोल्ड ज्वैलरी लोन 2.3% बढ़कर 62,101 करोड़ रुपये हो गया.
सोने की ऊंची कीमतों ने लोगों को अपनी ज्वैलरी गिरवी रखकर स्लिपेज ऑन क्या है? फंड जुटाने में मदद की थी क्योंकि दूसरी लहर में लॉकडाउन ने कई लोगों को बेरोजगार कर दिया था.
आश्चर्यजनक रूप से, चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में क्रेडिट कार्ड का आउटस्टैंडिंग लगभग 10.4 प्रतिशत गिरकर 21 मई को 1,04,475 करोड़ स्लिपेज ऑन क्या है? रुपये हो गया था. दूसरे पर्सनल लोन, जो बैंकों के लिए पर्सनल लोन पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, में भी गिरावट दर्ज की गई 1.6% गिरकर ये 7,77,567 करोड़ रुपये हो गया.
इसी तरह, फिक्स्ड लोन भी 7% गिरकर 66,510 करोड़ रुपये हो गया. पिछले कुछ महीनों में डिफॉल्ट बढ़ने के कारण हाई प्राइज वाले प्योर-प्ले पर्सनल लोन को लेकर बैंक सतर्क हो गए हैं.
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